हमारे गड्ढापुर में पहले पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के राज में सीवरेज के गड्ढे तो अभी कांग्रेस राज में नाले-नालियों के नाम पर जगह-जगह हो रही सड़कों की खुदाई
(शशि कोन्हेर के साथ जयेन्द्र गोले) : बिलासपुर। ऐसा लगता है कि जमाने भर की तकलीफें और मुश्किलें, बिलासपुर में रहने वालों के ही नसीब से बांध दी गई हैं। बीते 30-40 सालों से बिलासपुर में ऐसा कभी नहीं हुआ जब लोगों को सड़कों के गड्ढों से कुछ महीनों के लिए ही निजात मिली हो। 70 के दशक में सिम्स चौक से लेकर जवाली नाला तक हुई भूमिगत नाली की खुदाई का दुष्परिणाम पूरा शहर भुगत चुका है। तब से शुरू हुआ सडकों की खुदाई और गड्ढों का खेल बिलासपुर में अब तक जारी है।
15 साल के भाजपा शासनकाल में भी, जब शहर और प्रदेश की सत्ता में पूर्व मंत्री श्री अमर अग्रवाल का जलवा रहा करता था। तब भी बिलासपुर में सीवरेज के नाम पर खोदे गए गड्ढों से पूरा शहर किस तरह त्रस्त और परेशान तथा दुखी था यह सभी को पता है। इसके बाद अंग्रेज मर गए औलाद छोड़ गए की तर्ज पर, भाजपा शासनकाल में मंजूर हुई अमृत मिशन योजना के नाम पर कांग्रेस शासन काल में भी शहर में हर वार्ड और गली चौराहे में हुई सड़कों की खुदाई के कारण लोगों को गड्ढों की समस्या भुगतनी पड़ रही है।
और अब 5 वर्षीय कांग्रेस शासनकाल के इस अंतिम वर्ष में बस स्टैंड, मंगला चौक और ना मालूम कहां कहां शहर में नाले-नालियों के नाम पर बीच सड़क में गड्ढे कर दिए गए हैं। अब अगर नागरिकों को इससे कोई तकलीफ हो रही है तो वह भुगते अपनी बला से…। कुल मिलाकर शहर के लोगों ने 15 साल में सड़कों पर हुए सीवरेज के गड्ढों से नाराज होकर सरकार तक बदल दी। इसके बाद भी बिलासपुर वालों का नसीब नहीं बदला। भाजपा सरकार के जाते ही बिलासपुर को चौबीसों घंटे भरपूर पानी की सप्लाई करने के नाम से शुरू हुई अमृत मिशन योजना की खुदाई ने शहर के लोगों को त्रस्त कर दिया।
जिस योजना के लिए यह खुदाई हुई थी। उसका सुख अभी शहर के लोगों को मिला भी नहीं था, कि एक बार फिर नाले और पानी निकासी के नाम पर बस स्टैंड तथा मंगला चौक और सरकंडा समेत शहर में जगह जगह बीच सड़कों को खोद दिया गया है। और “9 दिन चले अढाई कोस” की गति से चल रहे काम के कारण बीते 1 महीने से बस स्टैंड और मंगला चौक तथा सरकंडा क्षेत्र में जगह-जगह सड़कों पर हुई खुदाई बिलासपुर शहर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। ये तो गनीमत है कि, इस साल अभी तक मानसून नहीं आया है। अगर मानसून समय पर आ जाता तो सड़क पर किए गए इन गड्ढों और आधे अधूरे पड़े नाले नालियों के कारण शहर का क्या हाल रहता…? इसका अनुमान ही रोंगटे खड़ा कर देता है।