46 लाख में खरीदे 250 बकरे, जैन समाज ने बागपत में बना दी ‘बकराशाला’
(शशि कोन्हेर) : दुनिया में एक कहावत है कि बकरा कभी अपनी मौत नहीं मरता यानि उसकी कुर्बानी देकर उसे समय से पहले ही इस दुनिया से रुखसत कर दिया जाता है। लेकिन इस कहावत को बागपत के अमीनगर सराय का जीव दया संस्थान गलत साबित कर रहा है। जैन संतों की प्रेरणा से इस संस्थान ने ऐसे 450 बकरों का ‘बकराशाला’ में संरक्षण किया हुआ है।
भगवान महावीर के सन्देश ‘जियो और जीने दो’ से प्रेरणा लेकर इस संस्थान के पदाधिकारियों ने पिछले 3 दिनों में जगह-जगह से 250 बकरों जिनकी कीमत लगभग 46 लाख रुपये थी, खरीदकर बकराशाला में दान दिया।
2016 में हुई थी संस्थान की स्थापना
अमीनगर सराय कस्बे में जैन समाज के लोगों द्वारा जीव दया संस्थान की 2016 में स्थापना की थी। उस समय यहां पर 45 के बकरे लाकर रखे गए थे। इस संस्थान को खोलने का उद्देश्य बेजुबान जीवों की रक्षा करना था।
बकरों की करते हैं सेवा
5000 वर्ग फीट में निर्मित बकराशाला में बकरों के खाने-पीने, रहने समेत चिकित्सकों की भी बेहतर व्यवस्था की हुई है। संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि वे यहां पर रखे गए सभी बकरों का आजीवन लालन-पालन करेंगे। इसी से इस बकराशाला का निर्माण सार्थक होगा। संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत में यह पहली और इकलौती बकराशाला हैं। इसका उद्देश्य केवल बेजुबान जीवों की रक्षा करना है।
पक्षियों के लिए भी बनाएंगे टावर
जैन समाज के दिनेश जैन और प्रदीप जैन ने बताया कि आने वाले दिनों में पक्षियों के लिए भी 45 मंजिला ऊंचा टावर बनाया जाएगा जिसमे पक्षी अपना निवास बनाकर रह सकेंगे।