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चिराग पासवान बन सकते हैं मंत्री, शिंदे सेना को मौका…. मोदी सरकार में क्या फेरबदल की तैयारी, NDA पर भी मंथन

(शशि कोन्हेर) : पीएम नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को मंत्री परिषद की बैठक करने वाले हैं। यह जानकारी मिलने के बाद ही मंत्री परिषद में फेरबदल की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इसके अलावा भाजपा के संगठन में भी बदलाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि यह मीटिंग 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओवरहॉलिंग को लेकर है। खबर है कि भाजपा का नेतृत्व चाहता है कि पुराने गठबंधन सहयोगियों को फिर से साथ लिया जाए और कैबिनेट में भी जगह दी जाए। इसी कोशिश के तहत चिराग पासवान को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। इसके अलावा एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना के भी किसी नेता को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है।



भाजपा सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी चाहते हैं कि एनडीए का पुनर्गठन किया जाए। नई परिस्थितियों में वह चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी, अकाली दल को साथ लाना चाहते हैं। इसके अलावा यूपी और बिहार में स्थानीय पार्टियों को जोड़ने की तैयारी है। इन दलों में जीतन राम मांझी की पार्टी HAM, लोजपा के दोनों धड़ों और यूपी में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा को साथ लाया जा सकता है। पीएम मोदी ने बुधवार देर रात को लंबी मीटिंग की थी, जिसमें अमित शाह और जेपी नड्डा मौजूद थे। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में समान नागरिक संहिता को लाने के तरीकों और सरकार एवं संगठन में बदलावों को लेकर बात हुई थी।

बुधवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग हुई थी। ऐसे में सोमवार को एक बार फिर से पीएम मोदी की ओर से बैठक बुलाए जाने से कयास तेज हो गए हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी चुनावी मोड में संगठन और सरकार को लाना चाहते हैं। ऐसे में वह सरकार से लेकर संगठन और एनडीए तक को मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं। खासतौर पर उन राज्यों पर भाजपा ज्यादा फोकस कर रही है, जहां वह मजबूत रही है, लेकिन चुनौती सामने है। इन राज्यों में महाराष्ट्र और बिहार शामिल हैं, जहां महाविकास अघाड़ी और महागठबंधन मजबूत दिख रहे हैं।

ऐसे में भाजपा यहां क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर और उन्हें प्रतिनिधित्व देकर अपना गणित साधना चाहती है। इसी कोशिश के तहत चिराग पासवान मंत्री बनाए जा सकते हैं और शिंदे सेना के किसी नेता को भी जगह मिल सकती है। लोकसभा चुनाव के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव भी इस साल के अंत तक हैं। सरकार और संगठन में बदलाव में इसे भी ध्यान रखा जा सकता है।

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