देश

चलते-फिरते ताबूत हैं स्लीपर बसें…..एक्सपर्ट बोले- केवल भारत और पाकिस्तान में ऐसी सेवा


(शशि कोन्हेर) : महाराष्ट्र के बुलढाणा में शनिवार रात हुए भीषण बस हादसे में कम से कम 25 लोगों की जलकर मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक इस बस में कुल 33 लोग सवार थे और यह एक स्लीपर बस थी जो कि पुणे जा रही थी। बस डिजाइनर बॉडी ने इन बसों को ‘चलते ताबूत’ बताया है। उसका कहना है कि इस तरह की बसों को बैन कर दिया जाना चाहिए। एमएसआरटीसी की नई बसों को डिजाइन करने वाले रवि महेंडाले ने कहा कि इन बसों में लोगों को लेटने की सुविधी दी जाती है लेकिन आने-जाने के लिए बिल्कुल जगह नहीं होती है।

उन्होंने कहा, ये बसें आम तौर पर 8 से 9 फीट ऊंची होती हैं। अगर वे अचनाक एक तरफ झुकती हैं तो यात्रियों का इमर्जेंसी गेट पर पहुंचना असंभव हो जाता है। वहीं बाहर से भी बचाने वालों के लिए 8-9 फीट चढ़कर लोगों की मदद करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, हमने मंत्रालय को कई पत्र लिखे कि इस तरह की स्लीपर बसों के प्रोडक्शन पर रोक लगा दिया जाए। लेकिन उधर से आज तक कोई जवाब नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को छोड़ दें तो किसी देश में स्लीपर बसें नहीं हैं। पुणे और पिंपरीचिंचवाड़ में आरटीओ प्राइवेट बसों की फिटनेस को चेक करने का अभियान चलाने वाला है। इसके अलावा जानकारों ने कहा है कि हाइवे पर बसों की स्पीड कंट्रोल करने की भीबात कही है।

सेव पुणे ट्रैफिक मूवमेंट के हर्षद अभयंकर ने कहा, समृद्धि महामार्ग पर गति सीमा 120 किमी प्रतिघंटा तय की गई है जो कि ज्यादा है। हमें पहले पता करना चाहिए कि क्या यहां 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चला जा सकता है। अगर सरकार गति सीमा घटाए तो दुर्घटनाएं भी कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि हाइवे सीधा होता है इसलिए कई बार ड्राइवर को नींद आ जाती है जो कि हादसे की वजह बन जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button