क्या वर्षा जब कृषि सुखाने! बारिश के मान सब तरफ सून
(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर+(सरगुजा) – कहावत क्या वर्षा जब कृषि सुखाने….. की यथार्थता जमीन पर सब तरफ सून (खामोशी) के सूरत में नजर आने लगी है। बारिश आने की मान (इज्जत) आशा तो क्षेत्र के कृषकों के दिल में बनी हुई है ।परन्तु दूर आसमान से होने वाली बरसा के आने का कोई ठिकाना नहीं है। किसानों को कृषि कार्य में हो रहे देरी से छटपटी सी होने लगी है।
इस भरोसे पर कि बारिश होगी, सूखा बोनी धान थरहा (नर्सरी)करने के साथ सूखा बोआई भी लखनपुर सहित आसपास के ग्रामीण किसान कर रहे हैं। मजबूरी है । यदि जुलाई महीने में थरहा किया जा रहा है तो निश्चित है कि रोपाई कराने में लेट होगी। लेट से पकने वाले धान फसल की नर्सरी रोपाई से नुकसान होने का संदेह किसानों के दिलों दिमाग में उपजने लगा है। यदि वादे के मुताबिक कुंवरपुर जलाशय से पानी किसानों को मिल गया होता तो लखनपुर कुंवरपुर चैनपुर कोरजा लटोरी बगदर्री गुमगराकला सहित आसपास नहर एरिया वाले किसान समय पर अपनी खेतों में रोपाई काम आरंभ कर चुके होते। बिगड़ना है.
चंद दिनों पहले राष्ट्रीय राजमार्ग ठेका कम्पनी और जल संसाधन विभाग और कांग्रेसी नेताओं के दरमियान एक समझौता हुई थी कि जल्द से जल्द खेतों के लिए कुंवरपुर बांध से पानी खोले दिया जायेगा परन्तु करार समय सीमा बीत जाने के बाद भी बांध से पानी नहीं खोला गया। किसानों को पानी खोले जाने के नाम पर अधेरे में रखा गया है।। क्रासिंग पुल का कार्य बेशक रफ्तार पर है परन्तु बांध से पानी नहीं खुल पाया है । बदबख्त बांध में काफी उपलब्ध पानी होने के बावजूद किसानों को समय पर पानी नहीं मिल पाया। नेताओं के कथन का कोई असर नहीं हुआ। हालात जस के तस बने हुए हैं। समन्दर के किनारे पर प्सासे रहने वाली बात हो रही है। यानी कुंवरपुर जलाशय में पानी पर्याप्त होने के बाद किसानों के प्यासे खेतों को वक्त पर पानी नहीं मिल सका। शासन प्रशासन ने कुंवरपुर जलाशय का निर्माण खास कर खरीफ फसल में उपयोग के लिए कराया है।
वक्त का तकाजा देखिये मानसून के बेरूखी के साथ बांध का पानी भी किसानों को नसीब नहीं हो सका।
हतास किसानों ने अब भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। कृषि कार्य करने डटे हुए हैं लेकिन खेतों में पानी नहीं होने से दूर दूर तक सन्नाटा तथा किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि समय रहते बारिश नहीं हुई तो सूखे जैसी हालात बन सकते। मानसून आने में हो रहे देरी को देखते हुए आसमानी बादलों पर निर्भर रहने वाले किसानों को क्षति होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। वही खेती कार्य काफी पिछड़ गया है। किसानों का कहना है.
यदि मौजूदा, वर्तमान समय में बारिश हो जाती है या फिर कुंवरपुर जलाशय से पानी खोले दिया जाता है तो हालात काफी हद तक संभल सकता है। किसानों ने शासन प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द बांध का पानी खुलवाया जाये ताकि किसानों को कृषि कार्य में राहत मिल सके।