रेलवे से जवाब तलब करने वाले जस्टिस चौधरी पर क्यों भड़के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस
(शशि कोन्हेर) : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस गौतम चौधरी की उस चिट्ठी पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने रेलवे यात्रा के दौरान असुविधा पर अधिकारियों से जवाब तलब कर लिया था।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीशों को लिखी चिट्ठी में सीजेआई ने कहा है कि जस्टिस चौधरी की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसके चलते लोगों को न्यायपालिका की आलोचना का मौका मिल गया। जजों को प्रोटोकॉल के तहत मिलने वालीं सुविधाएं विशेषाधिकार नहीं है।
CJI की दो टूक नसीहत
सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस चौधरी की चिट्ठी का जिक्र करते हुए लिखा है कि बतौर जज आपको मिलने वाला प्रोटोकॉल और सुविधाओं का इस्तेमाल इस तरह किया जाना चाहिए, जिससे दूसरों को तकलीफ ना हो।
न ही न्यायपालिका की सार्वजनिक आलोचना का मौका मिले। चीफ जस्टिस ने अपनी चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि हाई कोर्ट के जज के पास रेलवे अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार नहीं है।
बकौल चंद्रचूड़, इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के किसी ऑफिसर का रेलवे के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। हालांकि हाईकोर्ट का संबंधित ऑफिसर जज के आदेश का पालन कर रहा था।
जस्टिस चौधरी के साथ क्या हुआ था?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस गौतम चौधरी 8 जुलाई को पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के एसी फर्स्ट क्लास कोच में दिल्ली से प्रयागराज यात्रा कर रहे थे। जस्टिस चौधरी के मुताबिक एक तो ट्रेन 3 घंटे लेट थी और दूसरा कोच में जीआरपी का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।
यह बताने के बावजूद की जस्टिस चौधरी ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं, पैंट्री से कोई कर्मचारी उनके पास नहीं आया। जब पैंट्री कार मैनेजर को फोन किया तो, फोन का भी जवाब नहीं दिया। इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) ने 14 जुलाई को नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर को चिट्ठी लिख स्पष्टीकरण मांगा था।