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सुप्रीम कोर्ट से भाग सकता था यासीन मलिक, SG ने बताया गंभीर सुरक्षा चूक

(शशि कोन्हेर) : सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक की सुप्रीम कोर्ट में मौजूदगी पर गंभीर चिंता जताई है। सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि यासीन मलिक एक आतंकवादी है और उसके आतंकियों से संबंध हैं। ऐसे में वह भाग सकता था या उसे जबरन छुड़ाया जा सकता था। इस संबंध में उन्होंने गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर यासीन मलिक को सुरक्षा देने का मुद्दा उठाया।

आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यासीन मलिक को जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में पेश किया गया। यासीन मलिक को एक मुकदमे की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय लाए जाने के बाद भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को शुक्रवार को पत्र लिखकर ‘सुरक्षा में गंभीर खामी’ से अवगत कराया है।

वह भाग सकता था, उसे जबरन ले जाया जा सकता था- SG

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की मौजूदगी एक गंभीर सुरक्षा चूक थी, जिससे यह आशंका पैदा हुई कि वह भाग सकता था, उसे जबरन ले जाया जा सकता था या उसे मार दिया जा सकता था। मेहता ने लिखा, “मेरा स्पष्ट विचार है कि यह सुरक्षा में गंभीर खामी है।

आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उनलब्ध कराने के मामले का दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं, भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी।” उन्होंने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो उच्चतम न्यायालय की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती।

दोषी को जेल परिसर से बाहर लाना निषिद्ध है

मेहता ने यह रेखांकित किया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान 268 के तहत मलिक के संबंध में आदेश पारित किया है जो जेल प्रशासन को सुरक्षा कारणों से दोषी को जेल परिसर से बाहर लाना निषिद्ध करता है। उन्होंने लिखा है, ‘‘यह ध्यान में रखते हुए कि जबतक सीआरपीसी की धारा 268 के तहत जारी आदेश प्रभावी है जेल अधिकारियों के पास उसे जेल परिसर से बाहर लाने का अधिकार नहीं है और ना हीं उनके पास ऐसा करने की कोई वजह थी।’’

अदालत में मौजूद था यासीन मलिक

मेहता ने लिखा है, ‘‘मैं समझता हूं कि यह मुद्दा इतना गंभीर है कि इसे व्यक्तिगत रूप से फिर से आपके संज्ञान में लाया जाना चाहिए ताकि आपके द्वारा इस संबंध में समुचित कार्रवाई की जा सके।’’ न्यायमूर्ति सूर्यकांत तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण की घटना पर जम्मू की निचली अदालत द्वारा 20 सितंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसी दौरान यासीन मलिक अदालत कक्ष में उपस्थित हुआ।

सीबीआई ने जम्मू की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की है। निचली अदालत ने निर्देश दिया है कि यासीन मलिक को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष सशरीर पेश किया जाए और रुबैया सईद अपहरण मामले में उसे अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह का अवसर भी दिया जा सकता है।

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