अम्बिकापुर

मुहर्रम के मौके पर निकली दुल्ला बाबा की सवारी देखने उमड़ी जनसैलाब


(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर+ (सरगुजा) – आस्था से जुड़े अनेको अजीबो-गरीब हैरतअंगेज कारनामे आज़ भी ज़हान में मौजूद हैं। ऐसा ही अद्भुत आश्चर्यजनक दुल्ला बाबा की सवारी हज़रत ईमाम हसन हुसैन के शहादत की याद में मनाईं जाने वाले इस्लामिक मातमी पर्व मुहर्रम के मौके पर आती है।


मुस्लिम कौम की मानें तो यह सवारी नाले हैदर तथा नाले अरधात के नाम से मो0 जाकिर हुसैन एवं फरीद खान को आता है। लखनपुर में रियासत काल से दुल्ला बाबा के सवारी आने की रवायत रही है। दरअसल दुल्ला बाबा की सवारी मुहर्रम के सातवीं तिथि, के बाद ताजिया निकालने नवमी तिथि व दौरान -ऐ -सफ़र- कर्बला दसवीं पहलाम के रोज आती है।
दुल्ला बाबा के सवारी का दीदार तथा अपनी मांगी मुराद पूरी होने के नजरिए से मन्नत मानने दूरदराज़ से सभी मज़हब के लोग लखनपुर के ईमाम बाडा में आते हैं जादू टोना टोटका तंत्र मंत्र तिलिस्म आदि की झाड़ फूंक लोग कराते हैं।आग के अवाले में अंगार को हाथ से फेंकते हुए सवारी का अवाले में खेलना आम आदमी को हैरत में डाल देता है। दुल्ला बाबा के सवारी में एक अजीब सी कशिश होती है। यह अकल्पनीय नजारा होता है। इस अजीब मंजर को सभी समुदाय के लोग मिलकर देखते हैं।


पहले रियासत काल में मुस्लिम समुदाय के दूसरे लोगों को भी यह दुल्ला बाबा की सवारी आती थी। बाबा की सवारी आस्था से जुड़ी एक रहस्यमयी पहलू है।
बहरहाल स्थानीय ईमाम बाडा में सातवीं तिथि को दुल्ला बाबा की सवारी निकली लोग दुल्ला बाबा के सवारी से मिले। झाड़-फूंक कराया इमामबाड़ा में महिला पुरुष बच्चों का खासा भीड़ भाड़ देखा गया। दुल्ला बाबा सवारी से जुड़ी अनेको अफसाने विद्यमान है जिसे स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा गाहे-बगाहे कहीं सुनी जाती है। यकीनन खुद में एक इतिहास है दुल्ला बाबा!
कहते हैं बाबा के दरबार का कोई भी सवाली मायूस खाली नहीं लौटता सबकी मुरादें पूरी होती है। देर रात तक मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मर्सिया पढ़ी गईं। मातमी पर्व मुहर्रम मनाये जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। मुहर्रम के दसवीं तिथि रोज पहलाम को शहीदे कर्बला में जाकर मुकम्मल होगी।

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