फ्री की रेवड़ी पड़ रही भारी, खजाना हो रहा खाली… कर्नाटक का ट्रेंड पूरे देश के लिए खतरनाक संकेत
(शशि कोन्हेर) : रेवड़ियों ने कर्नाटक की आर्थिक सेहत बिगाड़ी
कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटियों के दम पर अपनी प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाई। उन पांच गारंटियों में गरीबी रेखा के नीचे वालों के लिए 10 किलो मुफ्त चावल, महिलाओं को हर महीना 2000 रुपये, 3000 और 1500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता, महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा, 200 यूनिट मुफ्त बिजली शामिल रहा। जनता ने कांग्रेस के इन वादों का दिल खोलकर स्वागत किया, तुरंत हाथ को वोट दिया, लेकिन अब सच्चाई कुछ और सामने आ रही है।
मुफ्त के वादे अर्थव्यवस्था की सेहत बिगाड़ते!
देश में फ्री वाली रेवड़ियों को बंटना आम बात है। चुनाव आते ही पार्टियों द्वारा अलग-अलग वादे कर दिए जाते हैं। कोई मुफ्त में खाना देता है, कोई बिजली देता है तो कोई ज्यादा दरियादिली दिखाते हुए बच्चों के लिए स्कूटी-बाइक तक का ऐलान कर देता है।
लेकिन ये ऐलान अर्थव्यवस्था पर क्या असर डालते हैं, कैसे राज्यों को कर्ज तले दबा जाते हैं, इसका कोई जिक्र नहीं करता। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लेकर कई दूसरे बड़े अर्थशास्त्रियों ने समय-समय पर चेताया है, देश के प्रधानमंत्री भी इसका जिक्र कर चुके हैं। लेकिन फिर भी रेवड़ियां बंट रही हैं, धड़ल्ले से मुफ्त वाले वादे किए जा रहे हैं।
पांच गारंटी वाला वादा हिट, विकास छूटा पीछे
अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने भी इसी वजह से पांच गारंटी वाला दांव चला था। वोट के लिहाज से तो ये सुपरहिट रहा, लेकिन आर्थिक दृष्टि से इसके खतरनाक साइड इफेक्ट अब दिखाई पड़ रहे हैं।
आंकड़ों में भी उस खतरे को समझेंगे, लेकिन सबसे पहले राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के एक बयान पर नजर डालना जरूरी है। ये बयान ही बताने के लिए काफी है कि कुछ महीनों की सरकार चलाने के बाद ही विकास कार्यों के लिए पैसा ही नहीं बच पा रहा है।
डीके का एक बयान, पूरे देश को दिखा आईना
मीडिया से बात करते हुए डीके शिवकुमार ने कहा कि ये सच बात है कि विधायक हम से मुलाकात करना चाहते थे। उन्हें कुछ मुद्दों पर बात करनी है। हमे भी उनसे आर्थिक मुद्दों पर कुछ बात करनी है।
ये समझने की जरूरत है कि अभी हमे 40 हजार करोड़ तो पांच गारंटी पूरी करने के लिए अलग रखने हैं। हम विकास पर इस साल खर्च नहीं कर पाएंगे। सिंचाई या PWD विभाग पर खर्च नहीं कर पाएंगे। हम जानते हैं विधायकों की उम्मीद ज्यादा है। हमने कह दिया है थोड़ा इंतजार कीजिए।
अब असल में ये बयान भी डीके शिवकुमार को इसलिए देना पड़ा क्योंकि एक चिट्ठी सुर्खियों में आ गई थी। ये चिट्ठी कर्नाटक विधायकों द्वारा लिखी गई थी। उसमें कहा गया था कि उन्हें अपने क्षेत्र में विकास करने के लिए पर्याप्त फंड नहीं मिल रहे। ये भी कहा गया था कि वे अधिकारियों द्वारा बात नहीं सुनी जा रही। उस चिट्ठी को लेकर पहले कहा गया कि ये अफवाह है, लेकिन बात में ये बात स्वीकार कर ली गई कि कुछ शिकायतें तो चल रही हैं। अब उन शिकायतों पर ही डिप्टी सीएम ने कह दिया कि विकास के लिए पैसे नहीं है।