जरूरत पड़े तो किराए पर लें सीएम योगी का बुलडोजर, अवैध निर्माण पर कलकत्ता HC के जज ने दी सलाह
(शशि कोन्हेर) : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने शुक्रवार को अवैध निर्माण से जुड़े एक मामले में कोलकाता नगर पालिका को योगी मॉडल अपनाने की सलाह दी है। अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए जरूरत पड़े तो यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कुछ बुलडोजर किराए पर ले सकते हैं।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने शुक्रवार को अवैध निर्माण मामले की सुनवाई करते हुए कोलकाता पुलिस की एंटी गैंग विंग की तारीफ की। उन्होंने कहा, ”कोलकाता पुलिस के एंटी-गैंग डिवीजन के अधिकारी जानते हैं कि गैंगस्टरों पर कैसे लगाम लगाई जाए।” उन्होंने यह भी कहा, ”मैं पुलिस और नगर पालिका के बारे में कुछ नहीं कहूंगा। मैं जानता हूं कि उन्हें किस बाहरी दबाव के साथ काम करना पड़ता है।”
अवैध निर्माणों के मसलों से हल करने के लिए योगी मॉडल अपनाने की सलाह देते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, ”जरूरत पड़ने पर यूपी योगी आदित्यनाथ से कुछ बुलडोजर किराए पर लें।”
क्या था मामला?
2021 में कोलकाता के मानिकतला मेन रोड निवासी रानू पाल ने कलकत्ता हाई कोर्ट में अवैध निर्माण को लेकर केस दायर किया था। उनके मुताबिक, एक पड़ोसी ने पुश्तैनी मकान पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिया है। पड़ोसी ने घर की मरम्मत के लिए कलकत्ता नगर पालिका में आवेदन किया और अवैध रूप से पड़ोसी इमारत के लिए सड़क का निर्माण कर दिया। नगर पालिका से शिकायत करने पर भी कोई असर नहीं हुआ।
वादी के वकील कमलेश भट्टाचार्य ने कहा कि यह मामला पहली बार 2018 में हाई कोर्ट में दायर किया गया था। इसके बाद जस्टिस देवांशु बसाक ने ढांचे को गिराने का आदेश दिया। उस समय नगर पालिका ने अवैध निर्माण को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था।
तब जाकर मामला भी निपट गया। लेकिन छह महीने बाद, पड़ोसी परिवार ने फिर से निर्माण शुरू कर दिया। मानिकतला पुलिस स्टेशन में बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। वकील ने यह भी आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल को परेशान किया गया।
2021 में हाई कोर्ट में एक नया केस दायर किया गया। मामला जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की बेंच में सुनवाई के लिए आया। उसी साल 26 जून को जस्टिस गंगोपाध्याय ने पूरी इमारत को गिराने का आदेश दिया, उसके एक हिस्से को नहीं।
उन्होंने कोर्ट के आदेश पर पड़ोसी पर धोखाधड़ी के आरोप में 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस आदेश को चुनौती देते हुए परिवार ने डिवीजन बेंच का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने जुर्माने की राशि कम करने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा।
इस बार भी पड़ोसी परिवार और मानिकतला पुलिस स्टेशन ने अदालत के आदेश को लागू नहीं किया, अभियोजक ने अदालत की अवमानना का मामला दायर किया। इससे पहले पड़ोसी परिवार के तीन सदस्यों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया गया था। शुक्रवार को जस्टिस गंगोपाध्याय ने मानिकतला थाने को भी मामले में शामिल करने और कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश दिया