स्टे मिला है, राहुल गांधी अब भी कन्विक्ट SC के आदेश पर पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी
(शशि कोन्हेर) : मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को आज सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया। इस पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी का भी बयान आया है। जेठमलानी ने कहा कि शीर्ष कोर्ट ने केवल कन्विक्शन पर रोक लगाई है। कोर्ट ने यह कहा है कि सेशंस कोर्ट ने अधिकतम सजा देने के पीछे पर्याप्त वजह नहीं बताई है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस स्टे के चलते भले ही राहुल गांधी का कन्विक्शन रुक जाए, लेकिन कानून की नजरों में वह अभी भी कन्विक्ट हैं। साथ ही जेठमलानी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मिले इस स्टे की बदौलत वह संसद में लौट सकते हैं। लेकिन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला और सजा दोनों सही है।
सजा तो मिलकर रहेगी
राहुल गांधी की अयोग्यता मामले में आगे कानूनी प्रक्रिया कैसे चलेगी महेश जेठमलानी ने इस पर भी रोशनी डाली। महेश जेठमलानी ने कहा कि यह बहुत छोटी बात है। चूंकि सेशंस कोर्ट में सजा की वजह नहीं बताई गई थी, इसलिए उन्हें राहत मिल गई। उन्होंने कहा कि अब फिर से सेशंस कोर्ट में अपील की जाएगी।
जब उनसे पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ने इसे सच की जीत बताया है। इस पर पर महेश जेठमलानी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि राहुल गांधी के लिए सच और झूठ के मायने क्या हैं। उन्होंने कहा कि जब केस चलेगा तो राहुल गांधी दोषी माने जाएंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मामले में उन्हें सजा कितनी मिलेगी, सेशंस कोर्ट दो साल की सजा देगी, कम सजा देगी या जुर्माना लगाएगी, यह मैं नहीं कह सकता। उन्होंने कहा लेकिन चूंकि सुबूत इतना मजबूत है कि राहुल गांधी कन्विक्शन से बच नहीं पाएंगे।
यह है मामला
गौरतलब है कि पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी कि सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?
कांग्रेस नेता को 24 मार्च को संसद सदस्य के रूप में तब अयोग्य घोषित कर दिया गया था जब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें मोदी उपनाम के बारे में की गई टिप्पणियों के लिए दोषी ठहराया था और आपराधिक मानहानि के लिए दो साल की कैद की सजा सुनाई थी।
वहीं, हाई कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की गांधी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि राजनीति में शुचिता समय की मांग है। सूरत की एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को भादंसं की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद, गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।