सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले के खिलाफ बिल ला रही केंद्र सरकार…. फिर होगी तकरार
(शशि कोन्हेर) : दिल्ली सेवा बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पास कराने के बाद केंद्र सरकार अब मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक बिल लाने की तैयारी में है। इसमें उनकी सेवा की शर्तों के साथ-साथ कार्यकाल को बढ़ाने का भी अधिकार होगा। सरकार की तरफ से इससे जुड़ा एक विधेयक राज्यसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसके साथ ही कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक नया टकराव शुरू होने की संभावना है।
विधेयक के अनुसार, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नॉमिनेट एक केंद्रीय मंत्री इसके सदस्य होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका उद्देश्य मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में कार्यपालिका के हस्तक्षेप को कम करना था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा था कि यह मानदंड तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद में कोई कानून नहीं बन जाता। निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल 14 फरवरी को 65 वर्ष की उम्र होने के बाद अवकाशग्रहण करेंगे। वह 2024 के लोकसभा चुनावों की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले अवकाशग्रहण करेंगे।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐतराज जताया है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ”मैंने पहले ही कहा था कि प्रधानमंत्री देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है। जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि पीएम खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिस से वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी। एक के बाद एक निर्णयों से प्रधान मंत्री जी भारतीय जनतंत्र को कमजोर करते जा रहे हैं।”