जादू है नशा है…शराब की एक बूंद बेचे बिना भी कमाए, 2600 करोड़ रुपए
(शशि कोन्हेर) : तेलंगाना सरकार के आबकारी विभाग ने शराब की एक भी बोतल बेचे बिना 2,639 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए हैं। राज्य में ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है। यह रकम 2,620 शराब की दुकानों के लिए आवंटित करीब 1.32 लाख आवेदनों से आई है। इनमें से प्रत्येक ने 2 लाख रुपये का नॉन-रिफंडेबल आवेदन शुल्क जमा किया है।
मालूम हो कि सोमवार को लॉटरी के जरिए जिलेवार दुकानों का चयन किया जाएगा। लाइसेंस प्राप्त करने वालों को हर साल 50 लाख रुपये से लेकर 1.1 करोड़ रुपये का शुल्क देना होता है, जो उस क्षेत्र की जनसंख्या पर निर्भर करता है जहां के लिए दुकान आवंटित की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वार्षिक लाइसेंस शुल्क का छठा हिस्सा 23 अगस्त तक भुगतान करना होगा। नियमों के तहत देखें तो 5000 तक की आबादी वाले क्षेत्र में खुदरा उत्पाद शुल्क की दुकान को 50 लाख रुपये चुकाने होते हैं।
20 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र में खुदरा दुकान का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति को हर साल 1.1 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। एक ट्रेडर के हिसाब से देखें तो मार्जिन की तुलना में शुल्क छोटा ही है। वे साधारण ब्रांड के लिए 27 प्रतिशत और प्रीमियम किस्मों के लिए 20 प्रतिशत तक कमा सकते हैं।
लाइसेंस आवंटन में भी आरक्षण
लाइसेंस आवंटन में भी आरक्षण है। इसके तहत 786 लाइसेंस यानी 30 प्रतिशत वंचित वर्गों के लिए हैं। इसमें से 15 प्रतिशत गौड़ा के लिए है, जो परंपरागत रूप से ताड़ी निकालने और शराब की बिक्री करते हैं। इसके अलावा, 10 प्रतिशत दुकानें अनुसूचित जाति और 5 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
नॉन-रिफंडेबल 2 लाख रुपये एप्लिकेशन फी के साथ आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया 4 अगस्त को शुरू हुई, जो बीते शुक्रवार आधी रात को समाप्त हो गई। दुकानें 1 दिसंबर से खुलनी शुरू होंगी, क्योंकि मौजूदा लाइसेंस तब तक के लिए वैध हैं।
लाइसेंस फीस के जरिए बढ़ी कमाई
इस साल का कलेक्शन 2 साल पहले लाइसेंस जारी किए जाने पर करीब 69,000 आवेदनों से मिले 1,370 करोड़ रुपये से अधिक है। शॉप लाइसेंस फी के जरिए सरकार को 3,500 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। जानकारों का कहना है कि इस साल और अगले साल चुनाव हैं।
साथ ही आर्थिक विकास, व्यापारिक आयोजनों और पर्यटन को बढ़ावा मिलने से शराब की खपत बढ़ी है। इसलिए अधिक लोग अब इस बिजनेस में हाथ आजमाना चाहते हैं। मालूम हो कि हैदराबाद में 615 दुकानें हो जाएंगी। सबसे अधिक आवेदन सेरिलिंगमपल्ली से मिले हैं, जो हैदराबाद के आईटी कॉरिडोर और शमशाबाद क्षेत्र में है, जहां एयरपोर्ट स्थित है।