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औंधे मुंह गिरा पाकिस्तान, जिस नेता ने उड़ाया था ISRO का मजाक, वही कर रहा गुणगान

(शशि कोन्हेर) : पाकिस्तान की पूर्ववर्ती इमरान खान की सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री रहे फवाद हुसैन ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान- 3’ की प्रशंसा की है और इसे “मानव जाति के लिए ऐतिहासिक क्षण” बताया है। भारत को बधाई देते हुए।

पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने अपने देश से बुधवार की शाम चंद्रयान -3 की चंद्रमा पर लैंडिंग का लाइव प्रसारण करने का आग्रह किया है। इससे पहले हुसैन वर्षों तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मजाक उड़ाते थे।

फवाद ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर लिखा, “पाक मीडिया को कल शाम 6:15 बजे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग को लाइव दिखाना चाहिए…मानव जाति के लिए ऐतिहासिक क्षण, विशेष रूप से भारत के लोगों, वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष समुदाय को बहुत बधाई।”

फवाद हुसैन ने इससे पहले 14 जुलाई को भी भारत के अंतरिक्ष और विज्ञान समुदाय को बधाई दी थी, जब इसरो ने तीसरा चंद्रमा मिशन लॉन्च किया था। उन्होंने लिखा था, “#चंद्रयान3 के प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष और विज्ञान समुदाय को बधाई, आप सभी को शुभकामनाएं।”

पूर्व पाकिस्तानी मंत्री ने 2019 में चंद्रयान -2 मिशन के फेल होने के बाद भारत और इसरो का मजाक उड़ाया था। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को बेरहमी से ट्रोल किया था और दूसरे चंद्र मिशन पर ₹900 करोड़ खर्च करने पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि किसी अज्ञात क्षेत्र में उद्यम करना बुद्धिमानी नहीं है।

पिछले मिशन के अंतिम चरण में विफल होने के बाद उन्होंने अपने एक्स पोस्ट पर हैशटैग ‘इंडिया फेल्ड’ का भी इस्तेमाल किया था, जब विक्रम लैंडर का चंद्रमा से सिर्फ 2.1 किमी ऊपर जमीनी स्तर से संपर्क टूट गया था।

उस घटना के चार साल बाद चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजे के करीब चांद की धरती पर लैंडिंग करने जा रहा है। यदि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने और चार साल में इसरो की दूसरी कोशिश में एक रोबोटिक चंद्र रोवर को उतारने में सफल रहता है।

तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है। ऐसा करने वाला भारत पहले देश होगा।

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