कब तक साकार हो सकता है अखंड भारत का सपना, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताया
(शशि कोन्हेर) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को फिर से ‘अखंड भारत’ की वकालत की और दावा किया कि आने वाले वर्षों में यह एक वास्तविकता होगी। नागपुर में एक कार्यक्रम में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि वह ठीक-ठीक नहीं बता सकते कि अखंड भारत कब अस्तित्व में आएगा, लेकिन आपके बूढ़े होने से पहले ऐसा हो सकता है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “अगर आप इसके लिए काम करते रहेंगे, तो आप बूढ़े होने से पहले इसे साकार होता हुआ देखेंगे। क्योंकि हालात ऐसे बन रहे हैं कि जो लोग भारत से अलग हो गए, उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है।
उन्हें लगता है कि हमें फिर से भारत में होना चाहिए था। वे सोचते हैं कि भारत में आने के लिए उन्हें मैप पर रेखाओं को मिटाने की आवश्यकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत बनना भारत की प्रकृति (स्वभाव) को स्वीकार करना है।”
आरएसएस प्रमुख का यह बयान उस दौरान आया है, जब इस समय भारत और इंडिया को लेकर बहस छिड़ी हुई है। जी20 समिट के डिनर को लेकर साझा किए गए निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भारत का राष्ट्रपति बताया गया था। इसके बाद यह चर्चा होने लगी कि क्या देश के नाम से इंडिया हटा दिया जाएगा और देश को भारत के नाम से पहचाना जाएगा।
कांग्रेस समेत विपक्ष ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कांग्रेस ने दावा किया कि इंडिया नाम के समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के गठबंधन ने भाजपा को चिंतित कर दिया है जो अब इंडिया को छोड़कर केवल भारत को देश के नाम के रूप में रखने की कोशिश कर रही है।
‘जब तक भेदभाव है, तब तक जारी रहना चाहिए आरक्षण’
वहीं, कार्यक्रम में आरएसएस चीफ भागवत ने आरक्षण पर भी बयान दिया। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि भेदभाव भले ही नजर नहीं आए लेकिन यह समाज में व्याप्त है। उन्होंने कहा, ”सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने बंधुओं को पीछे छोड़ दिया।
हमने उनकी देखभाल नहीं की और यह 2000 वर्षों तक चला। जब तक हम उन्हें समानता नहीं प्रदान कर देते हैं तबतक कुछ विशेष उपचार तो होने ही चाहिए और आरक्षण उनमें एक है। इसलिए आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव बना हुआ है। संविधान में प्रदत्त आरक्षण का हम संघवाले पूरा समर्थन करते हैं।”
सरसंघचालक ने कहा कि यह केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए बल्कि सम्मान देने के लिए भी है। उन्होंने कहा कि भेदभाव झेलने वाले समाज के कुछ वर्गों ने 2000 वर्ष तक यदि परेशानियां उठायी हैं तो ”क्यों न हम (जिन्होंने भेदभाव नहीं झेली है) और 200 वर्ष कुछ दिक्कतें उठा सकते हैं?”