PM मोदी की तारीफ न करें नेता, कांग्रेस की नई रणनीति; AAP से गठबंधन पर क्या हुआ फैसला
(शशि कोन्हेर) : पांच राज्यों के विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने चुनाव रणनीति का खाका तैयार कर लिया है।
पार्टी ओबीसी, एससी/एसटी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को केंद्र में रखकर चुनाव मैदान में उतरेगी। जातिगत जनगणना, महिला आरक्षण विधेयक और एससी/एसटी एवं ओबीसी के लिए आरक्षण की ऊपरी सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए कांग्रेस ने अपना एजेंडा साफ कर दिया है।
दो दिन तक चली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। सीडब्ल्यूसी में सरकार से संसद के विशेष सत्र में महिला विधेयक को पारित करने की मांग की है।
इसके साथ पार्टी ने साफ कर दिया है कि ओबीसी राजनीति अब कांग्रेस के केंद्र में रहेगी। यही वजह है कि सीडब्ल्यूसी ने जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा को बढ़ाने की वकालत की है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कोलार रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा दे चुके हैं। इसको आगे बढ़ाते हुए सीडब्ल्यूसी ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की है।
पार्टी का मानना है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी अहम भूमिका निभाएंगे। पिछले कई चुनाव में ओबीसी भाजपा को वोट करता रहा है, इसलिए कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ओबीसी मतदाताओं का भरोसा जीतने में जुटा है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी की भूमिका अहम है। यही वजह है कि कांग्रेस जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा रही है। इंडिया गठबंधन के घटक दल राजद, जदयू और डीएमके पहले से जातिगत जनगणना के हिमायती रहे हैं। ऐसे में पार्टी की चुनाव रणनीति पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों की भी छाप नजर आती है।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने इससे पहले कभी ओबीसी का भरोसा जीतने की कोशिश नहीं की, पर वर्ष 2006 में यूपीए सरकार के वक्त केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण और 2011 में जातिगत जनगणना कराने के फैसले के बावजूद पार्टी को इसका चुनावी लाभ नहीं मिला। पार्टी के एक नेता ने कहा कि अब स्थिति बिल्कुल अलग है। इंडिया गठबंधन के कई घटकदल इसके समर्थन में हैं। ऐसे में गठबंधन को इसका लाभ मिलेगा।