पत्थरबाजों का कबूलनामा….वंदेभारत ट्रेन के शीशे तोड़ने में मजा आता है
सात जुलाई को जिस वंदे भारत ट्रेन के चलने पर सभी ने फूल बरसाए थे, उस पर कुछ मनबढ़ों ने सिर्फ इसलिए पत्थर बरसा कर शीशे तोड़े क्योंकि उन्हें ऐसा करने में मजा आता है। लखनऊ से गोरखपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस पर चार महीने में पत्थरबाजी की चार घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि पहली घटना ट्रेन से बकरी कटने का बदला लेने के लिए हुई थी। लेकिन अन्य तीन घटनाओं में आरोपितों ने मजे के लिए पत्थर चलाना कबूला है।
लखनऊ से वापसी में वंदेभारत पर 17 जुलाई को डोमिनगढ़ में पत्थरबाजी हुई। इसमें कोच का शीशा चटक गया था। आरपीएफ ने सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय लोगों की मदद से पत्थरबाजों को दबोच लिया। आरोपितों ने पूछताछ के दौरान बताया कि मौज लेने के लिए पत्थरबाजी की थी।
इसके बाद बीते तीन अगस्त को गोरखपुर में धर्मशाला ओवरब्रिज के पास कुली हेमराज प्रजापति ने पत्थरबाजी की जिससे सी-2 कोच का शीशा चटक गया था।
सीसीटीवी से पहचान कर राजस्थान के रहने वाले कुली को दबोचा गया तो उसने भी पूछताछ मजे के लिए पत्थर चलाए जाने की बात कबूल की। इसी तरह बीते 15 सिंतबर को गोरखपुर से लखनऊ जाते समय मल्हौर के पास पत्थरबाजी में सी-4 कोच का एक शीशा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। आरपीएफ ने मनबढ़ों का गिरफ्तार किया तो उन्होंने भी मजा लेने के लिए पत्थर चलाने की बात स्वीकार की।
11 जुलाई को लखनऊ जा रही वंदे भारत पर अयोध्या से आगे सोहावल और देवराकोट स्टेशन के बीच पत्थर चलाए गए थे। इसमें पकड़े गए आरोपितों ने बताया था कि उनकी बकरी वंदेभारत से कट गई थी। उसका बदला लेने के लिए पत्थर चलाए थे।
रेलवे एक्ट 153 के तहत तीनों मामलों में मनबढ़ों का चालान किया गया था। चालान कर उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। फिलहाल सभी जमानत पर बाहर हैं। इस एक्ट में दोष साबित होने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है।
वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त चंद्रमोहन मिश्रा ने बताया कि वंदे भारत पर पत्थर फेंकने वालों को आरपीएफ ने पकड़ कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। पूछताछ में बताते हैं कि मौज-मस्ती करने के लिए पत्थर फेंक दिया था। ऐसे अराजक तत्वों से रेलवे सख्ती से निपटेगा। लगातार लोगों को जागरूक करने के साथ ही चेतावनी भी दी जा रही है कि ऐसा न करें।