मरना है तो मर जाओ ‘आयुष्मान’ तभी, जब पहली डायलिसिस नगद….
बिलासपुर – किसी भी मर्ज की बीमारी का इलाज कराने मार्क हॉस्पिटल जा रहे हैं तो सावधान हो जाइए… यहां बीमारी का कितना शर्तियां इलाज होगा यह तो पता नहीं, पर आपकी जेब जरूर ढीली हो जाएगी। चोह आपके आयुष्मान कार्ड क्यों न हो। दरअसल, एक मरीज डायलिसिस के लिए दर्द से कराह रहा था। परिजनों ने आयुष्मान कार्ड दिखाया तो प्रबंधन दो टूक शब्दों में कह दिया कि आयुष्मान कार्ड तभी चलेगा, पहली डायलिसिस का नगद भुगतान किया जाएगा। मजबूरीवश गरीब परिजनों ने किसी तरह से रुपए जुगाड़ कर जब संस्थान में जमा किया, तब जाकर डायलिसिस हो पाई और महिला ने राहत महसूस की। शहर के नामचीन अस्पतालों में से मार्क हॉस्पिटल एक है, जहां किफायती दरों पर हर तरह की बीमारी का इलाज कराने का दावा किया जाता है। यहां भर्ती करते समय तो किसी बहुत कम रकम जमा कराई जाती है। मरीज के भर्ती होते ही रकम ऐंठने के नए-नए तरीके ईजाद किए जाते हैं।
आयुष्मान कार्ड फिर 60 हजार का भुगतान : गुरुवार को ग्राम लखराम खैरा से अस्पताल आई 5० वर्षीय महिला रामप्यारी के शरीर में सूजन था। भर्ती लेने के बाद मार्क हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि मरीज के लीवर और किडनी में प्राब्लम है। फेफड़े में भी पानी भर गया है। यह सुनकर परिजन हड़बड़ा गए, क्योंकि मरीज की कंडीशन घर में इतनी ज्यादा खराब नहीं थी। वह चल-फिर रही थी और रूटीन भी सही था। सालभर से हार्ट का इलाज चल रहा था। नियमित दवाइयां लें, ऐसी कोई कंडीशन नहीं थी। यूरिन की समस्या होने पर एक दिन पहले हॉस्पिटल लाया गया, जिसे इंजेक्शन से देकर ठीक किया। इसके बाद अचानक ही सांस लेने में तकलीफ होने लगी। डॉक्टरों ने उसकी डायलिसिस कराने का सुझाव दिया। परिजनों के पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने का निवेदन किया। इस पर डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की कंडीशन अच्छी नहीं है। पहली डायलिसिस नगद कराने के बाद जब दूसरी बार डायलिसिस होगी, तब आयुष्मान का उपयोग किया जाएगा। मजबूरी में परिजनों ने गांव जाकर किसी तरह से 60 हजार रुपए व्यवस्था की। तब जाकर उसका इलाज शुरू हुआ। परिजनों के अनुसार सुबह से शाम तक सिर्फ दवाइयों का बिल 40 हजार हुआ है। इसके बाद डायलिसिस का 20 हजार अलग।
आयुष्मान कार्ड से इलाज का दावा झूठा : हॉस्पिटल की दीवारों पर आयुष्मान से इलाज करने की जानकारियां टंगी हुई हैं, जिसके झांसे में आकर मरीज फंस जाते हैं, पर सच्चाई यह है कि यहां यह दावा झूठा है। दरअसल, हलक पर अगर मरीज की जान भी अटक गई हो, तब भी यहां के डॉक्टर यह देखेंगे कि उन्हें किसमें फायदा है। इलाज में खर्च के बोझ तले फंसे मरीज के परिजन अगर आयुष्मान कार्ड का उपयोग खर्चे का बोझ कम करने की कोशिश करें तो वह भी बेमानी है, क्योकि यहां के डॉक्टरों का सीधा-सीधा कहना है कि आयुष्मान कार्ड का उपयोग वे तभी कर सकेंगे, जब किसी सर्जरी की नौबत आ जाए।
संचालक डॉ. मौर्य का दो तरह के बयान : इस मामले में मार्क हॉस्पिटल के संचालक डॉ. कमलेश मौर्य ने पहले कहा कि उनके यहां आयुष्मान कार्ड से इलाज होता है। जब महिला मरीज के बारे में बताया गया तो उनका कहना था कि हमारा डिपार्टमेंट से टाइअप के तहत आयुष्मान से जिसका इलाज करना होता है उसे करते हैं। डायलिसिस का भी होता है। हां सामने वाले को दिक्कत क्या है? इसे समझना होता है।