पद्मश्री पंडित चतुर्वेदी के नाम पर शोध पीठ की स्थापना हो : डॉ. पाठक
बिलासपुर : थावे विद्यापीठ, बिहार के कुलपति डॉ. विनय पाठक ने कहा है कि पं चतुर्वेदी ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ी को जनभाषा बनाने अप्रतिम योगदान दिया। वे अकेले व्यक्ति थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ी की गुरतुर भाषा को गोठ बात से लेकर साहित्य के जरिए पूरे देश में नई पहचान दी। 1987 में भारतेंदू साहित्य समिति ने उनकी षष्ठीपूर्ति के अवसर पर अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन किया।
उनके काव्य संकलन ‘पर्रा भर लाई’का मुझे संपादन करने का अवसर मिला और मैंने इसे शोधपरक बनाया। पं चतुर्वेदी के व्यक्तित्व, कृतित्व पर 4 लोगों को डाक्टरेट की उपाधि मिल चुकी है और वर्तमान में एक छात्र शोधरत है।
मंगलवार को पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी स्मार्ट रोड स्थित प्रतिमा स्थल पर उनकी 98 वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर साहित्यकार, पत्रकार, विभिन्न समाज, संस्थाओं के प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिकों ने प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
डा. पाठक ने कहा कि पं चतुर्वेदी ऐसे व्यक्ति थे कि जिनकी कविता एमए के पाठ्यक्रम में चल रही थी और उन्हें स्वयं अपनी ही कविता का भावार्थ लिखने का अवसर मिला। उनके रचना संस्कार पर काफी काम हुआ है और इसे भावी पीढ़ियों के लिए और आगे बढ़ाने की जरूरत है।
मंत्री को डांटने वाला पहली बार देखा: महापौर
महापौर रामशरण यादव ने कहा कि पं चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी के इनसाइक्लोपीडिया थे। मंत्री स्वर्गीय बीआर यादव के परिवार से होने के कारण उनके साथ ही पं चतुर्वेदी की भी उन्हें सेवा का अवसर मिला। स्कूली छात्र होने के कारण उन्हें अनूठा अनुभव हुआ जब किसी प्रसंगवश पं चतुर्वेदी यादवजी को डांटते नजर आए।
उन्हें लगा कि मंत्री को भी कोई डांटने वाला है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय यादव, पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, चित्रकांत जायसवाल बिलासपुर के विकास की योजनाओं, कार्यों के संबंध में पं चतुर्वेदी की सलाह लिया करते थे। चारों अनन्य मित्र थे। शहर के विकास में इन्होंने बड़ा योगदान दिया। महापौर ने कहा कि पं चतुर्वेदी के नाम पर शोधपीठ की स्थापना का प्रस्ताव सर्वसम्मति से लाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करे डबल इंजिन सरकार
कान्यकुव्ज समाज के अध्यक्ष अरविंद दीक्षित ने कहा कि पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी का सपना पूरा करने छत्तीगढ़ी भाषा को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का वक्त आ गया है। पं चतुर्वेदी जैसे मनीषियों की बदौलत छत्तीसगढ़ी आज राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बना चुकी है। केंद्र और राज्य में भाजपा की डबल इंजन सरकार छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल कर उसे गौरव प्रदान करे।
साहित्यकार डा. राघवेंद्र दुबे ने काव्यांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा जिन्होंने छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाई उनके नाम पर बिलासपुर में सांस्कृतिक भवन का निर्माण होना चाहिए। बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली ने कहा कि पं चतुर्वेदी की स्मृति को अक्षुण रखने पत्रकार पीछे नहीं रहेंगे।
जन्मशती कार्यक्रम की रूपरेखा बनी
छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष, बिलासा कला मंच के संस्थापक डा. सोमनाथ यादव ने कार्यक्रम में पं चतुर्वेदी के साहित्यिक अवदान पर छत्तीसगढ़ी पर वृहद आयोजन का सुझाव रखा। उन्होंने कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ी को जिन ऊंचाइयों पर पहुंचाया उसके अनुरूप सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए। इस मौके पर पं चतुर्वेदी की जन्मशती 20 फरवरी 2026 के अवसर पर वृहद आयोजन की रूपरेखा निर्धारित की गई।
पूर्व महापौर किशोर राय ने कहा कि पं चतुर्वेदी के विचारों को लेकर संगोष्ठी, कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए ताकि साहित्यकार, पत्रकार उनके जीवन, आदर्शों से प्रेरणा ले सकें। डा.अरुण कुमार यदु ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पीयूष मुखर्जी, एमआईसी मेंबर संध्या तिवारी, पार्षद एवं उप नेता प्रतिपक्ष राजेश सिंह, डा. आभा गुप्ता, रामनिहोर राजपूत, डा.सौम्या गुप्ता, आदित्य तिवारी, रविंद्र उपाध्याय, जोतिन्द्र उपाध्याय, एसपी पाटनवार, डा.विवेक तिवारी, डा. मनोज चौकसे, आदित्य दिवेदी, शशिकांत चतुर्वेदी, सूर्यकान्त चतुर्वेदी, ममता चतुर्वेदी, अंबर चतुर्वेदी, शुभा पांडेय, एडवोकेट राकेश पांडेय, डा. सुषमा शर्मा, शिवम शर्मा, आर के साहू, कौस्तुभ वर्तक आदि उपस्थित थे।