खोंदरा सर्किल के जंगल में पेड़ों की हो रही अवैध कटाई….वन विभाग को इसकी भनक तक नही
(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर – खोंदरा सर्किल के जंगल से पेड़ों की अवैध कटाई लगातार हो रही है। पेड़ों को काटने के लिए टांगी से निशान लगाए गए हैं। कुछ स्थानो पर तो पेड़ों की जड़ में भी आग लगा दिए गए हैं। वन विभाग के अफसरों की नाक के नीचे पेड़ों की अवैध कटाई जारी है। नेचर कैंप के ठीक पीछे तो एक ग्रामीण कुल्हाड़ी लेकर बिना किसी डर के जंगल में घूमता नजर आया। लेकिन, वन अमले को इसकी भनक तक नहीं है।
बिलासपुर वन मंडल के खोंदरा सर्किल में ग्राम कोरबी में स्थित मड़वा नाला के करीब ही पेड़ों की कटाई की जा रही है। वहां पर लगभग 10 पेड़ों की जड़ से ऊपर कुल्हाड़ी चलाई गई है, ताकि पेड़ सूख जाए। ऐसे में उन्हें काटना आसान हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक माफिया इसी तरह पेड़ों को पहले जड़ के पास काटकर सुखाते हैं, उसके बाद उसे काटकर ले जाते हैं। मौके पर कुछ पेड़ों में ताजा निशान हैं, जबकि कई ऐसे पेड़ हैं, जो सूख चुके हैं। अब तस्कर किसी भी दिन उन्हें काटकर ले जाएंगे। एक पेड़ के सूखने के बाद उसकी जड़ में आग लगाई गई है, जिससे वह गिर जाए।
आग के निशान भी दो-चार दिन पुराने ही दिख रहे हैं। आसपास कुछ और पेड़ों के पास राख बिखरा हुआ है। इसकी वजह मैदानी अमले का जंगल से नदारद रहना माना जा रहा है। विडंबना की बात यह है कि यहां बेखौफ अवैध कटाई हो रही है। इसके बाद भी वन विभाग के मैदानी अमले को इसकी भनक तक नहीं लगती। इस तरह के हालात के बीच जंगल के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जंगल के दुश्मनों की दखलअंदाजी केवल वन विभाग की निष्क्रियता के कारण बढ़ी है। मड़वा नाले के पास कुछ वृक्षों के निचले हिस्से में गडलिंग कर दी गई है, ताकि वृक्ष सुख जाए और उन्हें काटकर ले भागें।
खोंदरा सर्किल के अंतर्गत नेचर कैंप आता है। इसी कैंप के ठीक पीछे एक ग्रामीण शर्ट के पीछे कालर पर कुल्हाड़ी लटकाए बेखौफ घूमता नजर आया। एक पर्यटक के द्वारा यह तस्वीर कैद की गई। उसके पीछे एक और ग्रामीण था। माना जा रहा है कि वह कुल्हाड़ी रखे ग्रामीण का सहयोगी है। दोनों जंगल में बेखौफ घूमते रहे। लेकिन, उन्हें पकड़ना तो दूर वन विभाग के मैदानी अमले को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस सर्किल में ऐसे कई बीट हैं, जहां इसी तरह अवैध कटाई को जंगल के दुश्मन अंजाम दे रहे हैं।अवैध कटाई और वन्य प्राणियों के शिकार की रोकथाम के लिए नियमित पेट्रोलिंग जरूरी है। इसके विपरीत वन विभाग का मैदानी स्टाफ पेट्रोलिंग नहीं करता। इस कारण अवैध कटाई की शिकायत आम है। छोटे वन्य प्राणियों के शिकार की भी शिकायतें आती रहती हैं। इसके बाद भी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निचले स्तर के स्टाफ पर किसी तरह की सख्ती नहीं करते हैं।