राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने अखिलेश को दी बड़ी मात….क्रॉस वोटिंग से सभी कैंडिडेट जीते, सपा के आलोक रंजन हारे
यूपी में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने राज्यसभा के चुनाव में अखिलेश यादव को बड़ी मात दी है। सपा विधायकों की क्रास वोटिंग से भाजपा के सभी आठ प्रत्याशी जीत गए हैं। समाजवादी पार्टी के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन हार गए हैं। सपा के सात विधायकों ने क्रास वोटिंग करते हुए भाजपा के संजय सेठ को वोट दिया है। सपा के पक्ष में भी एनडीए के दो विधायकों के क्रास वोटिंग की बातें कहीं जा रही हैं। बसपा के एक मात्र विधायक ने भाजपा को वोट दिया। मतदान के तुरंत बाद मतगणना शुरू हुई लेकिन बीच में रोकनी भी पड़ी। सपा ने भाजपा के एक विधायक का वोट किसी और से डलवाने का आरोप लगाते हुए आपत्ति की। सुभासपा ने भी अपने विधायक का वोट रद कराने की मांग की। कहा कि बिना दिखाए ही वोट डाला है। दोनों मामलों को निबटाने के बाद दोबारा गिनती शुरू हुई और भाजपा के आठ और सपा के दो प्रत्याशियों को विजयी घोषित कर दिया गया।
यूपी में नामांकन के अंतिम दिन से ही राज्यसभा का चुनाव रोचक हो गया था। दस सीटों पर पहले भाजपा के सात और सपा के तीन कुल दस ही प्रत्याशी थे। नामांकन के अंतिम दिन भाजपा ने अपना आठवां प्रत्याशी उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया था। भाजपा की मंशा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा में सेंधमारी करना था। भाजपा अपनी रणनीति में सफल भी हो गई है। प्रथम वरीयता के मतों में सबसे ज्यादा जया बच्चन को 41 वोट मिले हैं। लाल जी सुमन को 40 वोट मिले। तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन को प्रथम वरीयता के केवल 19 वोट मिले हैं। इसके अलावा भाजपा के अमर पाल, सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर, नवीन जैन, साधना सिंह और संगीता बलवंत सभी को 38-38 वोट मिले। आरपीएन सिंह को 37 वोट मिले हैं। संजय सेठ को प्रथम वरीयता के 29 वोट मिले हैं।
भाजपा की रणनीति का ही असर है कि सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय भी बीजेपी के पाले में चले गए। उनके अलावा विधायक मुकेश वर्मा, पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह ने भाजपा के पक्ष में वोट डाला। सपा के चर्चित पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी विधायक महाराजी प्रजापति वोट देने नहीं पहुंचीं।
भाजपा के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ की जीत ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का राज्यसभा जाने का सपना धराशायी कर दिया है। सपा विधायकों की क्रास वोटिंग के कारण आलोक रंजन हार गए हैं। भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत, पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व विधायक साधना सिंह, आगरा के पूर्व महापौर नवीन जैन के साथ ही आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतारा था। सपा ने अभिनेत्री सांसद जया बच्चन, दलित नेता रामजी लाल सुमन और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को प्रत्याशी बनाया था।
यूपी में 403 सदस्यीय विधानसभा में मौजूदा समय में 399 सदस्य हैं। इनमें 395 सदस्यों ने अपने मत का प्रयोग किया है। मतदान से पहले अखिलेश यादव को भरोसा था कि सपा के 106 और कांग्रेस के 2 विधायकों को मिलाकर 108 वोट मिलेंगे। लेकिन सपा के तीनों प्रत्याशियों को 100 वोट ही मिल सके। इसमें सपा के 97 विधायकों ने ही सपा प्रत्याशियों को वोट दिया। कांग्रेस के दो और एनडीए में शामिल ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा के एक विधायक ने सपा को वोट दिया है। भाजपा को अपने 252 विधायकों के साथ ही सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) के 13, निषाद पार्टी के छह, रालोद के नौ, सुभासपा के चार, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो और बसपा का एक वोट मिला है।