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AAP को हटाना होगा अपना दफ्तर, इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने दी मोहलत..

आम आदमी पार्टी  को राउज एवेन्यू स्थित अपना पार्टी कार्यालय खाली करना होगा।सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए AAP को अब मोहलत दे दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने आम आदमी पार्टी को 15 जून तक की मोहलत दी है और कहा है कि AAP इस तारीख तक अपना दफ्तर खाली करे। देश में कुछ ही समय बाद लोकसभा चुनाव होने हैं।

और अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी को अतिरिक्त मोहलत देते हुए 15 जून तक कार्यालय खाली करने के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने AAP को निर्देश दिया है कि वो अपने कार्यालय के लिए दूसरे प्लॉट को लेकर भूमि और विकास कार्यालय से संपर्क करे। अदालत ने भूमि और विकास कार्यालय को यह भी निर्देश दिया है कि वो पार्टी के आग्रह पर चार हफ्ते के अंदर फैसला ले।

AAP ने अदालत में क्या दी दलीलें…

Bar And Bench ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम आदमी पार्टी ने अदालत में अपनी दलील में कहा कि पार्टी दफ्तर अतिक्रमण वाली जमीन पर नहीं है। इसे कोर्ट के एक्सटेंशन से पहले ही आवंटित किया गया था।

आम आदमी पार्टी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि साल 1995 से 2015 के बीच इस जमीन का इस्तेमाल NCT के द्वारा किया जाता था, उसी वक्त इसे AAP को आवंटित किया गया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आम आदमी पार्टी भारत की छठी राष्ट्रीय पार्टी है। सिंघवी ने कहा कि इसी इलाके में बीजेपी का ऑफिस इसी साइज का है।

सिंघवी ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी को कहा गया है कि वो दिल्ली के बदरपुर इलाके में अपना कार्यालय बनाए। उन्होंने यह भी दावा किया था LNDO के पास इसी इलाके में दो प्लॉट है जिसे AAP को दिया जा सकता है। सिंघवी ने कहा कि अगर आप को बदरपुर जाने के लिए कहा जा रहा है तब सभी पार्टियों को वही कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को कम से कम सेंट्रल दिल्ली में कोई जगह मिलनी चाहिए। बाद में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने आम आदमी पार्टी को कार्यालय खाली करने के लिए 15 जून, 2024 तक का समय दिया।

SC ने जताई थी नाराजगी

बता दें कि अदालत के समक्ष यह बात आई थी कि हाई कोर्ट के लिए आवंटित जमीन पर आम आदमी पार्टी ने अपना दफ्तर बनाया था। इसपर अदालत ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी। राउज एवेन्यू के जिस प्लॉट पर आम आदमी पार्टी का दफ्तर है वो प्लॉट दिल्ली हाई कोर्ट को आवंटित की गई थी और जिला कोर्ट की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया था। मुख्य न्यायाधीश ने इससे पहले इसपर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है। कैसे कोई राजनीतिक पार्टी जमीन पर कब्जा कर सकती है। जमीन निश्चित तौर से हाई कोर्ट को वापस दी जानी चाहिए।’

अदालत ने दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील SWA कादरी से कहा था कि सार्वजनिक कार्यों के लिए यह जमीन दिल्ली हाई कोर्ट को दी गई थी और अब इसका इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से हो रहा है। इस जमीन को हाई कोर्ट को वापस किया जाना चाहिए। अदालत की इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस जेबी परदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे। इस बेंच ने कहा था, ‘हाई कोर्ट इसका किस चीज में इस्तेमाल करेगा? सिर्फ पब्लिक औऱ जनता के लिए….फिर जमीन क्यों हाई कोर्ट को आवंटित की गई थी? आपको इसे निश्चित तौर से लौटाना होगा।’

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