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चिल्लाइए मत, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को क्यों कहना पड़ा ऐसा..

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को माहौल खासा ड्रामाटिक रहा। कॉन्स्टीट्यूशन बेंच एसबीआई द्वारा पेश इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुनवाई चल रही थी। मामला एसबीआई के अधूरे आंकड़ों का था। इसी दौरान एडवोकेट मैथ्यूज नेदुम्पारा और मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के बीच बहस होने लगी। असल में एडवोकेट नेदुम्पारा मामले में हस्तक्षेप करना चाहता थे।

उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला बिल्कुल भी न्यायसंगत मुद्दा नहीं था। उन्होंने कहा कि यह पॉलिसी मैटर नहीं था और कोर्ट के लिए नहीं था। इतना ही नहीं, कोर्ट ने एडवोकेट को पूर्व में उनके द्वारा किए गए कोर्ट के कंटेम्प्ट की भी याद दिलाई।

मानने को नहीं थे तैयार
जब वह बोल रहे थे तो सीजेआई लगातार उनसे रुकने और बात सुनने के लिए कह रहे थे। लेकिन एडवोकेट नेदुम्पारा मानने को तैयार नहीं थे और बोलते जा रहे थे। वह कह रहे थे कि मैं इस देश का नागरिक हूं। इसी दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दृढ़ता से कहा-एक सेकंड, मेरे ऊपर मत चिल्लाइए। इस पर नेदुम्पारा रक्षात्मक हो गए और कहने लगे, ‘नहीं-नहीं, मैं बहुत विनम्र हूं।’

इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि यह हाइड पार्क कॉर्नर मीटिंग नहीं है। आप कोर्ट में हैं। अगर आप अप्लीकेशन देना चाहते हैं तो दीजिए। आपने मेरा फैसला सीजेआई के रूप में सुना है। हम आपको नहीं सुन नहीं रहे हैं। अगर आप अप्लीकेशन देना चाहते हैं तो ईमेल कीजिए। यही इस कोर्ट का रूल है।

जस्टिस गवई को भी बोलना पड़ा
इसके बाद भी एडवोकेट नेदुम्पारा बोलते रहे तो जस्टिस बीआर गवई ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि आप न्यायिक प्रशासन की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। इसके बाद भी एडवोकेट रुके नहीं। वह लगातार बोलते रहे तो बेंच ने कहा कि बहुत हुआ।

अब हम आपको तब तक नहीं सुनेंगे जब तक कि आप तय प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं। कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन प्रेसीडेंट अदीश अग्रवाल के तर्क सुनने से भी इनकार कर दिया। वह भी सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप करना चाहते थे। बता दें कि साल 2019 में एडवोकेट नेदुम्पारा को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का दोषी पाया था।

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