सरकारी मातृ शिशु अस्पताल की गम्भीर लापरवाही, नॉर्मल डिलीवरी के चक्कर में जच्चा-बच्चा को पहुँचा नुकसान
(जयेन्द्र गोले) : बिलासपुर – जिले का मातृ शिशु अस्पताल नार्मल डिलिवरी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. इस चक्कर मे गर्भवती माता की जान पर बन आती है. ताजा मामले मे नर्सों की लापरवाही के कारण अचेत पैदा हुए नवजात को निजी अस्पताल मे भर्ती कराना पड़ा है. सरकारी अस्पताल पहुंची प्रसूता दिलेश्वरी को यहां नार्मल डिलिवरी के लिए सुबह से देर शाम तक यातना दी उसे झकझोर दिया. चार दिन बाद भी वो दर्द से करहा रहीं हैं.अभागी दिलेश्वरी ने बताया डाक्टर और नर्सों ने मिलकर बहुत तड़पाया इंजेक्शन लगाए पानी मे दवा मिलाकर पिलाया. आखिर10 घण्टे दर्द सह कर जब थक गई तब आप्रेशन कर नवजात बाहर निकाला. अभागी मां अपने शिशु का मुहँ देख पाती इससे पहले शहर के एक निजी अस्पताल मे उसे उपचार के लिए भर्ती कराना पड़ा जहाँ नवजात की हालत नाजुक बनी हुई है.
दिलेश्वरी का य़ह पहला बच्चा है उसने अपने शिशु की इस स्थिति के लिए मातृ शिशु अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था को दोषी ठहराया है.
जिला अस्पताल के गायनिक विभाग की डाक्टर और वार्ड की नर्सें भर्ती गर्भवती माताओं से जानवरों की तरह पेश आती है. पेट मे पल रहे बच्चे की खातिर वो कई कई घंटे दर्द सहती है. सिजेरियन की नौबत जानकर भी डाक्टर और स्टाफ नार्मल डिलिवरी कराने माताओं की सांसे उखड़ने तक प्रेशर बनाते है. दिलेश्वरी की देखभाल कर रहा पति नवजात की तबियत जानने दिन मे कई फेरे लगा रहा है. जच्चा-बच्चा की हालत देखकर उसने अस्पताल प्रबंधन की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से करने कहा है.
सरकारी अस्पताल आने वाले गरीब परिजन इलाज मे लापरवाही का शिकार होकर अपना सबकुछ खो बैठते है. इससे पहले भी जिला अस्पताल मे समय पर डाक्टर के नहीं मिलने और इलाज मे लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके है.