पूर्व CJI के बेटे पर क्यों भड़क उठे CJI चंद्रचूड़? बोले-
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ थल सेना में ब्रिगेडियर रैंक में पदोन्नति में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के आरोपों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी मामले में पैरवी कर रहे थे, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी पैरवी कर रहे थे। अहमदी ने कहा कि सेना अदालत के आदेशों की अवहेलना कर अवमानना कर रही है।
आज (सोमवार, 06 मई) जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई तो अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि जब तक सेना में कार्यरत अधिकारियों की तुलना नहीं होगी, तब तक उनकी योग्यताओं का विश्लेषण नहीं किया जा सकता और बिना योग्यता के विश्लेषण के उन्हें पदोन्नति नहीं दी जा सकती।
इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील हुजेफा अहमदी से कहा, “आपको पदोन्नति के लिए उपलब्ध पूल में लोगों के बीच ही चुनाव करना होगा और हम बेंचमार्किंग पर कुछ नहीं कह सकते।
हमारा ही फैसला था कि पदोन्नति के लिए पहले से ही पैनल में शामिल अधिकारियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन वह आदेश सेना की बेंचमार्किंग को रोकने के लिए नहीं है।”
इस पर वकील हुजेफा अहमदी ने कहा, “अगर उनके पास एक विशेष चयन बोर्ड है तो आपके पास बिना पैनल के लोग भी हैं।” इस पर सीजेआई वरिष्ठ वकील अहमदी पर भड़क गए और पूछ डाला कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “यह कोई कर्नल का टाइमस्केल है क्या? बिना बेंचमार्किंग के यह कैसे तय किया जा सकता है?” इसके बाद कोर्ट ने मामले में आदेश जारी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना की कार्रवाई से हम संतुष्ट हैं उनके कदम इस अदालत के आदेशों का कोई उल्लंघन नहीं है। इसलिए मामले में अवमानना नहीं बनता है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कानून के तहत अन्य उपायों पर विचार कर सकते हैं और उनका लाभ उठा सकते हैं।
बता दें कि महिला अधिकारियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अहमदी देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एएम अहमदी के बेटे हैं। एएम अहमदी देश के 26वें मुख् न्यायाधीश थे। उनका कार्यकाल 25 अक्टूबर 1994 से 24 मार्च 1997 तक था।
दरअसल, सेना में कार्यरत 30 से ज्यादा कर्नल रैंक की महिला अधिकारियों ने यह याचिका दाखिल की है और लिंग के आधार पर प्रमोशन में भेदभाव की शिकायत की है।
अपनी शिकायत में महिला अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया था कि सेना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है। थल सेना में नई पदोन्नति नीति सरकार ने मार्च के आखिरी हफ्ते में ही लागू की है। आज उसी भेदभाव और अवमानना से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही थी।