(दिलीप जगवानी ) : बिलासपुर : गाँव मे कोल वाशरी लगाने का विरोध कर रहे ग्रामीण बड़ी संख्या मे जिला मुख्यालय पहुँचे. कोटा के खरगहनी समेत आसपास हजारों एकड़ कृषि भूमि बचाने कलेक्टर से गुहार लगायी. प्रतिनिधि मंडल ने बताया तमाम नियम कायदे ताक पर रख रसूखदार ने निर्माण शुरू कर दिया है.
महावीर कोल वाशरी के संचालक पर कोटा मे वाशरी स्थापित करने कई हथकंडे अपनाने का ग्रामीणों ने आरोप लगाया है. इसके लिए तीसरी बार ज़न सुनवाई 11 जून तय किया था जिसे रद्द कर दिया है.
बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट कार्यालय आए किसानों ने बताया खरगहनी के अलावा कोटा के 5 गाँव के सैकड़ों किसान कृषि कार्य करते है. वाशरी से निकलने वाला कोल डस्ट से कुछ ही समय वे बर्बाद हो जाएंगे. ग्रामीणों ने बताया संचालक ने बड़ा जंगल और इसमे मौजूद जानवरों पर वाशरी से गंभीर संकट छिपाया है.
पर्यावरणनीय स्वीकृति के बिना रसूखदार कम्पनी के मालिक को ज़न सुनवाई की अनुमति मिलने से किसानो मे गहरा रोष है.कोटवार भूमि पर अवैध कब्जा, 50 एकड़ से ज्यादा आदिवासी जमीन प्रस्तावित कोल वाशरी एरिया मे शामिल हैं जैसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं. जिला प्रशासन बार बार ज़न सुनवाई की तारीख तय कर देता है इससे ग्रामीणों में उनके प्रति अविश्वास पनपने लगा है.
कई बार शिकायत करने पर भी बाउंड्री वॉल समेत भीतर निर्माण कार्य धड़ले से जारी है. कोल वाशरी लगाने कम्पनी पर खरगहनी- पथर्रा पहुंच मार्ग को 16 फिट बताया है जबकि य़ह केवल 8 फिट चौड़ा पगडंडी मार्ग है ऐसे तमाम सबूत और कम्पनी के बोगस दस्तावेजों के साथ ग्रामीण विरोध मे तने है.