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गठबंधन को बहुमत मिलने पर बोले पीएम मोदी..

अपने संबोधन की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय जगन्नाथ’ से की. पीएम ने कहा- आज बड़ा मंगल है. इस पावन दिन NDA लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रहा है. पीएम ने कहा, हम जनता जनार्दन के बहुत आभारी हैं. पीएम मोदी बोले- जनता ने देशवासियों का विश्वास जताया है.

पीएम मोदी ने चुनाव आयोग की सराहना करते हए कहा कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. पीएम मोदी ने कहा, यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की जीत है. ये भारत के संविधान पर अटूट निष्ठा की जीत है. ये विकसित भारत के प्रण की जीत है. ये ‘सबका साथ-सबका विकास’ के इस मंत्र की जीत है. यह 140 करोड़ भारतीयों की जीत है.

विधानसभा चुनावों को लेकर पीएम मोदी ने कहा, हम ओडिशा में सरकार बनाने जा रहे हैं. हमें लोकसभा में भी इस राज्य से सीटें मिली हैं और ऐसा मौका पहली बार आ रहा है जब भगवान जगन्नाथ की धरती पर भाजपा का मुख्यमंत्री होगा. साथ ही पीएम ने केरल और तेलंगाना पर भी बात की. पीएम ने कहा कि केरल में हमारे कार्यकर्ताओं ने खूब मेहनत की.

पीएम ने अपने संबोधन के दौरान कहा, जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं ने इस चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग कर अभूतपूर्व उत्साह दिखाया है और दुनियाभर में भारत को बदनाम करने वाली जो ताकतें हैं, उनको आईना दिखा दिया है.

पीएम मोदी ने कहा, ‘इस जनादेश के कई पहलू हैं. 1962 के बाद यह पहली बार है कि कोई सरकार अपने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी है…’

पीएम मोदी ने कहा, यह मेरी मां के जाने के बाद पहला चुनाव है. लेकिन मेरे देश की माताओं-बहनों ने कभी मुझे मेरी मां की कमी महसूस नहीं होने दी. पीएम मोदी बोले- आज का दिन भावुक करने वाला है.

पीएम मोदी ने कहा कि ये इंडिया गठबंधन वाले मिलकर भी इतनी सीटें नहीं जीत पाए. जितनी अकेले भाजपा ने जीती हैं. पीएम ने अपने कार्यकर्ताओं की तारीफ करते हुए कहा कि इतनी गर्मी में भी आपके द्वारा बहाया गया पसीना मुझे काम करने की प्रेरणा देता है. पीएम मोदी बोले, ‘अगर आप (देशवासी) 10 घंटे काम करेंगे तो मोदी 18 घंटे काम करेगा, आप दो कदम चलेंगे तो मोदी चार कदम चलेगा. हम भारतीय मिलकर चलेंगे, देश को आगे बढ़ाएंगे. तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा और ये मोदी की गारंटी है.’

पीएम मोदी ने कहा, ’10 वर्ष पहले देश ने बदलाव के लिए हमें जनादेश दिया था. वो समय था, जब देश निराशा की गर्त में डूब चुका था. हमें Fragile Five जैसे शब्दों से नवाजा जाता था, हर दिन अखबारों की हेडलाइन घोटालों से भरी रहती थीं, देश की युवा पीढ़ी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हो गई थी. तब देश ने हमें निराशा के गहरे सागर से आशा के मोती निकालने का जिम्मा सौंपा था. हम सभी ने पूरी ईमानदारी से प्रयास किया, काम किया.’

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