छत्तीसगढ़

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन कलेक्टर के आदेश को भी करते है दरकिनार…

(जयेंद्र गोले) : बिलासपुर-कलेक्टर के आदेश को भी नाकरते हुए जिला अस्पताल के सिविल सर्जन अपनी मनमानी पर उतर आए हैं जी हां एक ऐसा ही मामला आचार संहिता खत्म होते ही देखने को मिला है। गौरतलब है कि जिला अस्पताल में ड्राइवर के पद पर कार्य करने वाले राजकुमार मल्ल की पिछले दिनों कलेक्टर से शिकायत की गई थी।

कि वह मरीज के परिजनों से बदतमीजी करता है और स्टाफ से भी बदसलूकी करता है।शिकायत के बाद कलेक्टर ने तत्काल अनुशंसा करते हुए उसका ट्रांसफर कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर दिया गया था। लेकिन जनाब का रसूख को तो देखिए अब सिविल सर्जन खुद उनके नाम से आदेश निकल रहे हैं और जिला अस्पताल में पुनः पद स्थापना दे रहे हैं इसे देखकर तो यही लगता है।

कि जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भी कलेक्टर की नहीं सुन रहे हैं और अपने करीबी राजकुमार को सही का राजकुमार बनाकर अपने पास रखना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि जिला अस्पताल में ड्राइवरों की कमी है वहां कई ड्राइवर मौजूद है मगर राजकुमार की बात ही अलग है। क्योंकि जानकार बताते है कि वह सिविल सर्जन के घर का काम और बाहर का काम दोनों देखा था।

ये कहे कि राजकुमार के साथ ऐसा राज़ है जिसे सिविल सर्जन बांटते हैं या ये भी हो सकता है कि उसके जाते ही शायद सिविल सर्जन को कुछ अधूरा महसूस हो रहा होगा, यही कारण है, कि उन्होंने आचार संहिता खत्म होते ही अपने राजकुमार को अपने पास बुला लिया इस आदेश को गौर से पढ़िए इसमें सिर्फ राजकुमार मलका ही नाम लिखा है।

आगर जिला अस्पताल में किसी ड्राइवर की कमी होती तो उसका नाम लिखे बिना भी सिविल सर्जन मांग कर सकते थे कि जिला अस्पताल को एक वाहन चालक की आवश्यकता है।

इसमें नाम लिखने जैसी तो कोई बात ही नहीं होती लेकिन नामजद आदेश या कहीं की मांग पत्र जारी कर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन ने खुद के ही पैरों में कुल्हाड़ी मार दी है ।अब आप खुद ही सोच सकते हैं। कि जो सिविल सर्जन कलेक्टर के आदेश को भी दरकिनार कर रहा हो, उस पर क्या ही कार्रवाई हो सकती है।  और क्या इस प्रकार का आदेश जारी करने से पहले इन्होंने कलेक्टर की अनुमति ली थी यह अभी एक प्रश्न चिन्ह है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button