(जयेंद्र गोले) : बिलासपुर – सिविल सर्जन तो गजब कर गए एक कर्मचारी को अपने पास बुलाने की हड़बड़ी और दूसरी ओर सैकड़ो मरीज के इलाज में लापरवाही देखने को मिल रही है। जी हां एक बार फिर हम जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गुप्ता की बात कर रहे हैं, गौरतलब है कि पिछले दिनों अनिल गुप्ता ने एक ऐसा आदेश निकाला था।
जिसे देखकर अस्पताल के स्थितियों को लेकर उन्होंने काफी चिंता जताई थी। मगर वह शायद भूल गए कि जिला अस्पताल के कुछ ऐसे विभाग भी हैं, जहां ना तो जांच के लिए किट है और ना ही इलाज के लिए मशीन है, और भी कई सारे जरूरी सामान उपलब्ध नही हैं।
लेकिन सिविल सर्जन को तो सिर्फ अपने राजकुमार से मतलब है।जरूरी दवाओं के लिए अब तक लोकल पर्चेसिंग को लेकर कोई टेंडर नही हुआ है,इधर कई गंभीर बीमारियों का आंकलन करने वाले खून जांच भी नही हो रहे हैं।
मगर सिविल सर्जन को इससे ज्यादा जरूरी एक ड्राइवर की कमी सता रही थी।दूसरी ओर जिला अस्पताल के पुराने बिल्डिंग में आग बुझाने के फायर सेफ्टी किट भी मौजूद नही है।अगर गलती से शार्ट सर्किट हो जाता है तो आग पर काबू पाने भी जद्दोजहद करनी पड़ जाएगी।
जरूरत है सिविल सर्जन को इन सब अतिआवश्यक कमियों को दूर करने जिला दंडाधिकारी को पत्र लिखने की, ना कि उनके आदेशों की दरकिनार करते हुए ड्राइवर के लिए पत्र लिखकर मांग करने की।क्योंकि वे एक जिम्मेदार पद पर है इसलिए उनकी पहली प्राथमिकता मरीजों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की होनी चाहिए।