रोहन बोपन्ना ने किया संन्यास का ऐलान, पेरिस ओलंपिक में खेला आखिरी मैच..
अनुभवी भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने ओलंपिक के पुरुष युगल के पहले दौर में हार का सामना करने के बाद कहा कि उन्होंने भारत के अपना आखिरी मैच खेल लिया है। बोपन्ना देश के लिए अपने करियर का अंत और बेहतर तरीके से करना चाहते थे लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उन्होंने 22 साल के अपने करियर में कई शानदार सफलता हासिल की।
बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी की पुरुष युगल जोड़ी रविवार रात को खेले गए मैच में एडवर्ड रोजर वासेलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से 5-7, 2-6 से हार गई। इस जोड़ी की हार के साथ ही टेनिस में 1996 के बाद भारत के लिए ओलंपिक पदक का सूखा बरकरार रहा।
दिग्गज लिएंडर पेस ने अटलांटा ओलंपिक के पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था। बोपन्ना 2016 में इस सूखे को खत्म करने के करीब आए थे लेकिन मिश्रित स्पर्धा में उनकी और सानिया मिर्जा की जोड़ी चौथे स्थान पर रही थी।
बोपन्ना ने खुद को 2026 एशियाई खेलों से बाहर करते हुए कहा, ”यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था। मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं। मैं अब जब खेल सकूंगा तब टेनिस का लुत्फ उठाउंगा।”
वह पहले ही डेविस कप से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा, ”मैं जहां हूं वह मेरे लिए पहले ही किसी बड़े बोनस की तरह है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा। मैंने 2002 में करियर की शुरुआत की थी और 22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। मुझे इस पर बेहद गर्व है।”
बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप का पांचवां मुकाबला राष्ट्रीय टीम के लिए उनका सबसे यादगार मैच है। उन्होंने कहा, ”यह निश्चित रूप से डेविस कप इतिहास में एक है। वह अब तक मेरा सबसे अच्छा पल है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि चेन्नई में वह पल और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेट में मैच जीतना भी यादगार मौका था।”
उन्होंने कहा, ”उस समय टीम का माहौल शानदार था। ली (लिएंडर पेस) के साथ खेलना, कप्तान के रूप में हेश (महेश भूपति) के साथ खेलना कमाल का अनुभव था।। उस समय मैं और सेमदेव (देववर्मन) एकल में खेलते थे और हम सभी ने पूरे जी-जान से मुकाबला किया था, यह अविश्वसनीय था।”
उन्होंने कहा, ”बेशक, अपना पहला पुरुष युगल ग्रैंड स्लैम जीतना और विश्व नंबर एक बनना बड़ी उपलब्धि रही है। मैं अपनी पत्नी (सुप्रिया) का आभारी हूं, जिन्होंने इस यात्रा में बहुत सारे बलिदान किये हैं।” बोपन्ना अपने स्तर पर युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में एआईटीए (अखिल भारतीय टेनिस संघ) के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ”जब मैं इसे करने के लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर गौर करूंगा। मैं अभी प्रतिस्पर्धा और यात्रा कर रहा हूं ऐसे में अभी इस तरह की जिम्मेदारी नहीं निभा सकता हूं। मैं इस समय इसके प्रति अपनी सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता नहीं दे पाऊंगा।”