इजरायल-ईरान में तनाव का भारत पर होगा कितना असर?
इजरायल और ईरान के बीच अगर जंग छिड़ी तो यह भारत के लिए भी अच्छा नहीं होगा। क्योंकि भारत एशिया में इजराइल का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
भारत द्वारा पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में बासमती, कपड़े, रत्न-आभूषण, सूती धागा और कपड़े शामिल हैं। हालांकि, द्विपक्षीय व्यापार में मुख्य रूप से हीरे, पेट्रोलियम उत्पादों और रसायनों का वर्चस्व है।
निर्यातकों के अनुसार, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार को नुकसान के अलावा पहले से ही ऊंची रसद लागत बढ़ने की आशंका है।
युद्ध में सीधे तौर पर शामिल देशों को निर्यात के लिए बीमा लागत भी बढ़ सकती है, जिसका असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने कहा, यह संघर्ष विश्व व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान ईरान को भारत का निर्यात 538.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। 2023-24 में यह 1.22 अरब अमेरिकी डॉलर था। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान ईरान से आयात 140.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2023-24 में यह 625.14 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान इजराइल को भारत का निर्यात 639 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। 2023-24 में यह 4.52 अरब अमेरिकी डॉलर था। इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान इजराइल से आयात 469.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2023-24 में यह दो अरब अमेरिकी डॉलर था।
एक अनुमान के मुताबिक, ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगने पर कच्चा तेल सात डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो सकता है।
वहीं, अगर ईरान के ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर इजरायल हमला करता है तो कच्चा तेल 13 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो सकता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के जरिए आपूर्ति बाधित होने पर कच्चा तेल 13 से 28 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो सकता है।