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सरकार का बड़ा दांव, मराठी-पाली समेत 5 को शास्त्रीय भाषा का दर्जा..

नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “यह ऐतिहासिक निर्णय है। पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया है।

आज मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली जैसी 5 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मंजूरी दी गई है।” 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले यह सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

गुरुवार को मोदी सरकार के ऐलान के बाद अब कुल 11 शास्त्रीय भाषाएं हो जाएंगी। इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।

गुरुवार को अहम फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया कि शास्त्रीय भाषा में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाएं भी होंगी। ये महाराष्ट्र (मराठी), बिहार (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) से संबंधित हैं।

मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजग सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं तथा हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के अनुरूप है।’’

सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती हैं।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव को भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की।

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