(भूपेंद्र सिंह राठौर) बिलासपुर : स्मृति वाटिका की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। यह वाटिका, कभी लोगों को प्रकृति से जोड़ने और उनके पूर्वजों की स्मृति में पौधे लगाने के उद्देश्य से बनाई गई थी, वन विभाग की अनदेखी का शिकार वाटिका का अस्तित्व खोता जा रहा है।
कुछ सालो पहले तक स्मृति वाटिका, पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों का प्रिय स्थल हुआ करता था, पर्यावरण के बीच आकर सुकून औऱ ख़ुशी से भरे परिवार समय गुजारा करते थे. अब यह वाटिका उपेक्षा और लापरवाही की भेंट चढ़ गई है।
वन विभाग द्वारा 20 हेक्टेयर क्षेत्र में यह वाटिका तैयार करने कई साल लग़ गए थे जिमसे लोगों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधारोपण किया और इसे पर्यटकों के लिए मनोरंजन का केंद्र बनाने खूब जतन किया था, अब यह जगह बेजान हो चुकी है।
यहाँ पानी का कोई इंतजाम नहीं, यहां लगाए झूले, फिटनेस उपकरण सभी टूट गए हैं। वाटिका का मुख्य आकर्षण झरना कब का मंद पड़ चूका है, इसके मरम्मत कराने किसी के पास फुर्सत नहीं। मुख्य द्वार से इस वाटिका का नाम तक गायब हो गया है, जिससे राहगीर इसे पहचान भी नहीं सकते।
वाटिका में हर ओर लापरवाही की निशानियाँ हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की नज़र इस ओर नहीं जा रही है। आज स्थिति यह है कि पर्यटक भी इस जगह से दूरी बना चुके हैं, क्योंकि यहाँ न तो मनोरंजन के साधन बचे हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं। वन विभाग की अनदेखी के चलते स्मृति वाटिका का नाम अब केवल लोगो की स्मृति मे रह गया है।