रिकाउंटिंग में नंबर घटाकर छात्रा को किया फेल, पूरक परीक्षा देने के बाद भी घोषित किया अनुपस्थित, विश्वविद्यालय की लापरवाही हुई उजागर
रायगढ़ – बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा में लापरवाही और दोहरी जांच प्रक्रिया से एक छात्रा का भविष्य अधर में पड़ गया। शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय के अंतर्गत शासकीय महात्मा गांधी पीजी कॉलेज खरसिया की छात्रा राजनंदनी राठौर, जो बीएससी गणित के अंतिम वर्ष में थी, को हिंदी विषय में कम अंक दिए जाने के कारण पूरक घोषित कर दिया गया।
राजनंदनी ने अपनी उत्तरपुस्तिका की पहली जांच में 39 अंक प्राप्त किए। संतुष्ट न होने पर उसने पुनर्गणना (रिकाउंटिंग) करवाई। दूसरी जांच में 20 अंक कम कर दिए गए, जिससे उसे मात्र 19 अंक मिले और वह पूरक हो गई।
छात्रा ने पूरक परीक्षा दी, लेकिन विश्वविद्यालय ने उसे अनुपस्थित घोषित कर दिया। इसके चलते वह एमएससी में एडमिशन नहीं ले सकी।
राजनंदनी ने आरटीआई के माध्यम से अपनी कॉपी मांगी, लेकिन उसे अंकों के विवरण छिपाकर दी गई। बाद में, कॉलेज प्राचार्य द्वारा दो अन्य प्रोफेसरों से कॉपी की पुन: जांच करवाई गई। इनमें से एक ने 47 और दूसरे ने 48 अंक दिए जाने की बात कही।
प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल विद्यार्थियों को फोटो कॉपी उपलब्ध कराता है, जिसमें अंकों में पारदर्शिता रहती है। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए दस्तावेजों में अंक छुपाए गए।
विश्वविद्यालय की लापरवाही से राजनंदनी को न केवल मानसिक कष्ट हुआ, बल्कि उसका पूरा एक साल बर्बाद हो गया। एमएससी में प्रवेश न ले पाने के कारण वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।
यह मामला शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। राजनंदनी राठौर जैसे विद्यार्थियों के भविष्य को बचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे।