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जस्टिस नरीमन ने EWS आरक्षण को बताया गलत

बीते दिनों राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को संविधान और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताने वाले पूर्व जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने अब EWS आरक्षण पर भी सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि संसद ने आर्टिकल 46 का जिक्र करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की बात कही थी, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं है। यह आर्टिकल आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात ही नहीं करता। इस तरह 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से दिया गया आरक्षण संविधान को ही सिर के बल खड़ा करने जैसा था।

उन्होंने जस्टिस कृष्ण अय्यर स्मृति व्याख्यानमाला में कहा कि आरक्षण का विचार सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंचने का रहा है। लेकिन EWS आरक्षण में ऐसा विचार ध्यान में नहीं रखा गया।

इसके अलावा उन्होंने इस कोटे को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया। इस मामले में शीर्ष अदालत की 5 सदस्यीय बेंच ने 3-2 के बहुमत से कोटे को बरकरार रखा था।

उन्होंने कहा, ‘यह आर्थिक मानदंड वाला फैसला न तो संवैधानिक कानून में और न ही किसी भी तरह के सिद्धांत में सही है। यह वास्तव में अनुच्छेद 46 के विपरीत है। निश्चित रूप से अनुच्छेद 15(1) और 16(1) के विपरीत है, जैसा कि अल्पमत के जज जस्टिस भट ने माना है।’

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