रायपुर

पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी चंद्राकर समेत तीन गिरफ्तार, संविदा पर चाहता था नियुक्ति….


रायपुर – डायरी कांड का पुलिस ने महज 48 घंटों के अंदर पटाक्षेप करते हुए इस मामले से जुड़े तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सेवानिवृत्त पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, इसके साथ ही कार्यकाल में कार्यरत कर्मचारी भी इस पूरे प्रकरण में शामिल है। डायरी कांड मामले में पुलिस ने आज पत्रकारवार्ता में खुलासा करते हुए बताया कि पूरा प्रकरण केवल बदले की भावना पर टिका हुआ था जिसमें सेवानिवृत्त पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर, रायपुर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल रामकुण्ड का सचिव संजय सिंह ठाकुर व टायपिस्ट कपिल कुमार देवदास शामिल हैं।


पुलिस ने बताया कि प्रार्थी आशुतोष चावरे ने थाना राखी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ इंद्रावती भवन नवा रायपुर में कार्यरत है। कुछ व्यक्तियों द्वारा उन्हें बदनाम करने की साजिश रचि गई है और उनके फर्जी हस्ताक्षर से अनेक जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र जारी कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। प्रार्थी की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 09/22 धारा 419, 469 भादवि. के तहत मामले की जांच शुरु की। मामले की गंभीरता को लेकर पुलिस कप्तान प्रशांत अग्रवाल ने संज्ञान में लिया और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जवाबदारी सौंपी। पुलिस ने घटना के संबंध में प्रार्थी से विस्तृत पूछताछ करते हुए अज्ञात आरोपियों द्वारा प्रार्थी के नाम से प्रेषित शिकायत पत्र को एकत्र कर उसका अवलोकन किया। अवलोकन पर यह प्रतीत हुआ कि उक्त घटना कारित करने में निश्चित रूप से किसी विभागीय व्यक्ति की संलिप्तता रहीं होगी। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए एक टीम स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रेषित शिकायत पत्र की जांच हेतु पोस्ट ऑफिस में संपर्क करते हुए जिस दिनांक समय को जिस पोस्ट ऑफिस से वह पत्र स्पीड पोस्ट किया गया था, वहां तक पहुंची जिसमें पोस्ट ऑफिस के सी.सी.सी.टी.व्ही. फुटेज में एक व्यक्ति दिखाई दिया।


घटना के संबंध में पुलिस ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेेंदाराम चन्द्राकर की सेवा निवृत्ति जनवरी – 2021 में हुई। गेेंदाराम चन्द्राकर संविदा पद पर नियुक्ति चाह रहा था। इस हेतु उसने कई तरह के प्रयास किये किंतु वह सफल नहीं हो पाया और वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी ए.एन. ए.एन. बंजारा की नियुक्ति उस पद पर हो गई। अपनी संविदा नियुक्ति की फाईल रूकवाने के पीछे वह ए.एन.बंजारा, संयुक्त संचालक के.सी.काबरा, तत्कालीन ओ.एस.डी. आर.एन. सिंह, ए.बी.ई.ओ. प्रदीप शर्मा व निज सचिव अजय सोनी की मिली भगत को जिम्मेदार मानता था। इसी के चलते गेंदराम को सनक सवार हुई और उसने इन अधिकारियों को सबक सिखाने मंशा को लेकर अपने मित्र संजय सिंह के माध्यम से शिक्षा विभाग में ट्रांसफर व पोस्टिंग के नाम पर लेन – देन की मनगंढ़त कहानी बनाकर शिकायत करने की योजना बनायी। इसके लिए गेंदाराम चन्द्राकर ने वर्ष 2019 से लेकर अब तक जितने ट्रांसफर व पोस्टिंग हुई की आदेश प्रति निकाली और अपने घर के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग में एक चौकीदार भुवनेश्वर साहू को दो डायरी खरीदकर दी एवं उसमें आदेश प्रति को लिखने बोला। साथ ही किसको कितने रूपए का काल्पनिक लेन – देन हुआ है यह भी चौकीदार को लिख कर दिया था। शिकायत पत्र को टाईप कराने हेतु संजय सिंह ठाकुर ने अपने होम्योपैथिक मेडिकल कालेज रामकुण्ड ऑफिस में कार्य करने वाले कपिल कुमार से गेंदाराम चन्द्राकर की मुलाकात करायी।


पूरी शिकायत को गेंदाराम चन्द्राकर द्वारा अपने हाथ से लिखकर कपिल कुमार को आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाईप करने हेतु दिया गया था एवं उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील (रबर) कपिल को तैयार कर देने बोला था। कपिल कुमार द्वारा सील तैयार कर दिया गया एवं शिकायत टाईप कर पोस्ट ऑफिस में पोस्ट किया गया था। इस हेतु कपिल को 2,500 रूपये गेंदाराम चन्द्राकर ने दिया गया था। शिकायत की कई प्रतियां अलग – अलग न्यूज एजेंसी, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक व्यक्तियों एवं स्थानीय नेताओं एवं अधिकारियों को पोस्ट किया गया तथा एक प्रति गेंदाराम चन्द्राकर ने अपने पास रखीं। बचीं हुई शेष प्रतियों को संजय सिंह के पास भिजवा दिया। दोनों डायरियों को गेंदाराम चन्द्राकर के द्वारा जला कर नष्ट कर दिया गया एवं रबर सील व ट्रांसफर व पोस्टिंग आर्डर के रफ वर्क को भी नष्ट कर दिया।

संजय सिंह ठाकुर ने अपने पास शिकायत नस्ती की एक प्रति रखकर शेष को अपने साथी खमतराई निवासी के पास भेजकर उसे जलवा दिया। समाचार पत्रों के माध्यम से शिकायत पत्र का मामला उजागर होने पर कपिल ने संजय सिंह को फोन कर अपना डर जाहिर किया जिस पर संजय सिंह द्वारा कपिल को अपने पास बुलाकर उसका मोबाईल बंद कराकर अपने परिचित के घर सेल टेक्स कालोनी में छिपा दिया। पुलिस टीम द्वारा कपिल कुमार को गिरफ्तार के दौरान उसके पाकेट में एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उसने उक्त घटना की संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया था तथा पत्र को पुलिस को पोस्ट करने वाला था परंतु इसके पूर्व ही कपिल कुमार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार तीनों आरोपियों के द्वारा सुनियोजित ढंग से षडय़ंत्र पूर्वक शासन की छवि धुमिल करने के उद्देश्य से फर्जी शिकायत पत्र तैयार कर एवं फर्जी हस्ताक्षर कर प्रचारित एवं प्रसारित किया गया था। साथ ही सबूतों को नष्ट करने का प्रयास भी किया गया जिस पर से प्रकरण में आरोपियों के विरूद्ध पृथक से धारा 420, 465, 468, 471, 120बी, 201 भादवि. भी जोड़ी गई है।

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