झारखंड में मगही, भोजपुरी को लेकर, लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हुए आमने-सामने
(शशि कोन्हेर) : रांची – हमारे देश में भाषाओं को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। देश की आजादी के बाद भाषावाद प्रांतों के गठन के दौरान भाषाई विवाद में पूरा देश झुलस चुका है। अभी भी कई प्रांतों में यह विवाद आपस में टकराव का कारण बना हुआ है। नया विवाद नए बने झारखंड और बिहार के बीच चल रहा है। इस विवाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन तथा उनकी सरकार को समर्थन दे रही राजद के सुप्रीमो श्री लालू प्रसाद यादव को आमने सामने कर दिया है।झारखंड में स्थानीय भाषा को लेकर जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। हेमंत सरकार के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी होती नजर आ रही हैं। कुड़मी और आदिवासी वोटरों को लुभाने के चक्कर में हेमंत सोरेन सरकार ने धनबाद और बोकारो जिले की स्थानीय भाषाई सूची से भोजपुरी और मगही को आउट कर दिया है। जिला स्तरीय नियुक्तियों में क्षेत्रीय भाषा के तौर पर होने वाली परीक्षा में धनबाद और बोकारो में भोजपुरी और मगही को मान्यता दी गई थी। झामुमो और आजसू पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया। कांग्रेस ने भी इस मसले पर हेमंत सोरेन सरकार को फैसला बदलने को कहा, आखिरकार झारखंड सरकार ने धनबाद और बोकारो में भोजपुरी और मगही को आउट कर दिया। दरअसल, आदिवासी और कुड़मी वोटरों को लुभाने के लिए यह पूरी कवायद की गई है। कई सीटों पर इनके वोटरों से प्रत्याशियों की नैया पार लगती है।
लालू यादव पहले ही कह चुके हैं कि भोजपुरी समाज किसी से डरता नहीं
अब हेमंत सोरेन सरकार की इस कवायद पर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है। झारखंड में वर्षों से रहने वाले भोजपुरी और मगही भाषी लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है।