सोने से भी महंगी कस्तूरी के लिए, कस्तूरी मृग के शिकार का बड़ा खतरा, 25 से 30,000 में मिलती है 1 ग्राम कस्तूरी
(शशि कोन्हेर) : पिथौरागढ़ – हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात कम होते ही उत्तराखंड के राज्य पशु कस्तूरी मृग के जीवन पर खतरा शुरू हो गया है। यही वह समय है जब निचली घाटियों में इस दुर्लभ जानवर को शिकारी अपना शिकार बना लेते हैं। नाभि में पाई जाने वाली कीमती कस्तूरी के चलते ही इस खूबसूरत जानवर पर शिकारियों की नजरें रहती हैैं। इस समय उत्तराखंड में लगभग 2000 से अधिक कस्तूरी मृग की मौजूदगी सेंसस से प्रमाणित हुई है।
उत्तराखंड के तीन सीमांत जिले पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली में 11 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई वाले बर्फ से घिरे इलाकों में स्वच्छंद विचरण करने वाला कस्तूरी मृग उच्च हिमालय में भारी हिमपात होने पर नौ हजार फीट तक नीचे उतर आता है। हिमालय में करीब 7500 फीट तक मानव बस्तियां भी हैं। शीतकाल में नीचे उतरते ही मानव और कस्तूरा मृग के बीच की दूरी कम हो जाती है। इसको लेकर सबसे ज्यादा अलर्ट शिकारी हो जाते हैैं। शिकारी इनके वास स्थल के आसपास आग लगाकर इन्हें शिकार बना लेते हैं।
पिथौरागढ़ जिले में आने वाली पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के बेस कैंप का इलाका कस्तूरी मृग के शिकार के लिए कुख्यात रहा है। शिकारी बेस कैंप के आसपास आग लगाकर इस निरीह जानवर को घेर कर उसे अपना शिकार बना लेते हैं। बेस कैंप काफी दुरुह क्षेत्र है। जंगली और खतरनाक रास्तों से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए करीब दो दिन का समय लगता है। यही जटिलता शिकारियों के लिए इस क्षेत्र को सेफ जोन बना देती है। पंचाचूली क्षेत्र के आसपास इन दिनों धुआं दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि शीतकाल में जंगलों में शिकारी आग लगा रहे हैं। शिकारियों की सक्रियता की आशंका को लेकर वन विभाग भी सक्रिय हो गया है।