कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और फैसले की आहट…योग्यता को प्रमुखता…चाटुकारिता हाशिये पर..!
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली। लंबी खींचतान के बाद अब कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और फैसले का दौर शुरू हो सकता है। दरअसल, पिछले दो दिनों में दो बार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नाराज चल रहे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर इसका संकेत दे दिया है। गुरुवार को राहुल गांधी और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुलाकात हुई थी, जिसमें केंद्रीय संगठन से लेकर हरियाणा प्रदेश इकाई तक में बदलाव का संकेत दिया गया था।
योग्यता अहम होगी, चाटुकारिता नहीं
शुक्रवार को असंतुष्ट नेताओं के अगुआ गुलाम नबी आजाद और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात में शेष बदलावों को लेकर चर्चा हुई। खुद आजाद की बातों से इसका संकेत मिलने लगा है कि अध्यक्ष के लिए तो चुनाव होगा ही, लेकिन हर स्तर पर सामूहिक निर्णय से ऐसे लोगों को स्थान दिया जाएगा, जो प्रदर्शन का माद्दा रखते हैं। योग्यता अहम होगी, चाटुकारिता नहीं। नीतिगत फैसलों के लिए संसदीय बोर्ड को फिर से अस्तित्व में लाया जा सकता है।
सामूहिक नेतृत्व की ओर कांग्रेस
पिछले दिनों कपिल सिब्बल समेत कुछ असंतुष्ट नेताओं की ओर से भले ही गांधी परिवार से मुक्ति का लगभग एलान कर दिया गया था, लेकिन अब पूरी कोशिश यह है कि गांधी परिवार की मौजूदगी में ही सामूहिक नेतृत्व को स्थान मिल जाए। कोशिश दोनों तरफ से हो रही है। यही कारण है कि मुलाकात की शुरुआत राहुल गांधी की ओर से हुई, जो हर किसी के निशाने पर हैं।
सोनिया के नेतृत्व पर भरोसा
दूसरी कोशिश सोनिया गांधी की ओर से हुई, जिनमें अब भी यह क्षमता है कि लोगों को इकट्ठा जोड़कर रख सकें। शुक्रवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आजाद ने भी कहा था कि उनके नेतृत्व पर किसी को कोई एतराज नहीं है।