क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चला-चली का समय आ पहुंचा है..?
पाकिस्तान के सियासी गलियारों से जो इशारे आ रहे हैं उनका साथ संकेत है कि अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए चला चली की बेला आ गई है..! बीते कुछ हफ्तों के घटनाक्रम से वास्तव में यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान के दिन पूरे हो चुके हैं। पाकिस्तानी सियासत के बहुत से जानकार इमरान खान की सत्ता से विदाई तय मान रहे हैं। उनके ताजा बयान उनकी हताशा दिखा रहे हैं। 20 मार्च को खैबर पख्तूनख्वा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इमरान ने भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा था कि हमारे पड़ोसी देश की नीति लोगों की भलाई के लिए है। ऐसा लगता है कि उन्हें एक असफल सरकार का नेतृत्व करने और सत्ता से विदाई का एहसास हो गया है।
वहीं हुकूमत से इमरान खान के संभावित निष्कासन से एक बार फिर यह स्थापित हो जाएगा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र जीवित रह ही नहीं सकता है। पिछले तमाम सियासी घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जहां सेना और उसकी शक्तिशाली खुफिया शाखा इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस यानी आइएसआइ सत्ता से सियासत तक सब कुछ नियंत्रित करती है।
पाकिस्तान में किसी भी सियासी दल को सत्ता में बने रहने के लिए शक्तिशाली सेना का समर्थन पाना बेहद महत्वपूर्ण है। इमरान खान ने यही बात समझने में चूक कर दी और पूर्व के हुक्मरानों की तरह ही सेना को अपमानित करने का बड़ा अपराध कर दिया। इमरान खान ने सत्ता में बने रहने के लिए जिस आईएसआई का इस्तेमाल किया। अब वही आईएसआई उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिश कर रही है।