कोई भी माता-पिता किसी को फसाने अपनी ही बच्ची की सम्पूर्ण भविष्य दाव पर नहीं लगा सकते : हाई कोर्ट
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। हाई कोर्ट ने 7 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ बदनीयती से छेड़छाड़ करने के आरोपी की अपील यह कहते हुए खारिज किया कि कोई भी माता पिता किसी को फसाने के लिए अपनी ही बच्ची की सम्पूर्ण भविष्य को दांव में नही लगा सकते है।
जशपुर जिला के तपकरा थाना क्षेत्र निवासी दूसरी कक्षा की 7 वर्ष की बच्ची नवम्बर 2017 को अपनी बहनों के साथ स्कूल परिसर के बाहर खेल रही थी। उसी समय आरोपी संतोष ताम्रकार आया और बच्ची को अपने घर ले गया व अंदर से दरवाजा बंद कर बच्ची के पर्सनल आग को छूने लगा। उसी समय बच्ची की माँ आई और आरोपी के घर जाकर दरवाजा धकेल कर खोली। अंदर आरोपी को बच्ची के साथ अश्लील हरकते करते हुए पकड़ी। उसने आरोपी के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने अपराध दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने पीड़िता व गवाहों को सुनने के बाद दोषसिद्धि होने पर आरोपी को 5 वर्ष कैद व 6500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। आरोपी ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील पेश की। अपील में कहा गया कि उसे पारिवारिक विवाद के कारण झूठे मामले में फसाया गया है। कोर्ट ने सुनवाई उपरांत अपने आदेश में कहा कि अवयस्क पीड़िता का कथन स्थिर रहा है। उसे अपने घर लेजाकर छेड़छाड़ किया। इसके अलावा कोई भी माता पिता पारिवारिक विवाद के कारण किसी को फसाने स्वयं की बच्ची का सम्पूर्ण भविष्य दाव पर नहीं लगा सकते है। कोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज कर सजा को यथावत रखा है।