बिलासपुर

पेरिस में सिकल सेल की बीमारी पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे शहर के डॉक्टर प्रदीप सिहारे….

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – शहर के विख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप सिहारे ग्लोबल सिकल कान्फेन्स-2022 जो कि पेरिस, फ्राँस में सोलह से अठारह जून 2022 को आयोजित होने वाली है, में सिकल सेल पर रिसर्च करने एवम् सिकल के दुर्लभ केस को प्रजेन्ट करने के लिये आमन्त्रित किया गया है। डॉ प्रदीप सिहारे ने बताया कि एक मरीज को सिकल के कारण लिवर में अत्यन्त दुर्लभ बीमारी होने से पीलिया अडसठ मिलीग्राम के ऊपर पहुँच गया था और मल्टी आर्गन फेल्युर और डी आई सी हो गया था। आई सी यू में प्रोटोकाल के अनुसार ट्रीटमेन्ट करने पर सफलता नहीं मिलने पर कुछ नये रिसर्च पेपरस् व अपने अनुभव से इलाज करने व दो तीन बार ब्लड एक्सचेन्ज करने व हमारे सहयोगी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव शिवहरे व स्टाफ के प्रयास से पच्चीस दिन बाद बच्चे में सुधार चालू हुआ और हम उसे बचाने में कामयाब हुये।जब यह केस कान्फ्रेन्स के लिये भेजा तो इसे रेयर क्लीनिकल केस व इन्नोवेटिव ट्रीटमेन्ट, माना गया। बिलासपुर जैसे छोटी जगह में कम संसाधनों में इलाज उपलब्ध करने के लिये डॉ. प्रदीप सिहारे को आमन्त्रित किया गया है।


मालूम हो कि डॉ. प्रदीप सिहारे विगत् पच्चीस साल से सिकल की बीमारी का इलाज कर रहे है और अंचल के डॉक्टरों को भी प्रेरित कर रहे है। वर्ष 2018 में डॉ. गौर बोस मेमोरियल सिकल सेल सेन्टर की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य बिना प्राफिट लिये सिकल के मरीजों का आधुनिक व काम्प्रीहेन्सिव ट्रीटमेन्ट करना है और उन्हें सपोर्ट करना। सिकल के मरीजों की क्वालिटी ऑफ लाइफ बढाना ताकि वे अपने फुल पोटेन्शियल का उपयोग कर उच्चतम् लक्ष को प्राप्त करें और स्वस्थ्य व लम्बी जिन्दगी जी सकें।

डॉ. गौर बोस मेमोरियल सिकल समाधान सेन्टर समिति, बिलासपुर के द्वारा संचालित

डॉ राजीव शिवहरे और डॉ विनोद अग्रवाल ने बताया कि गौर बोस मेमोरियल सिकल समाधान सेन्टर देश का पहला सिकल सेन्टर जहाँ एक ही छत के नीचे सिकल की हर समस्या का समाधान बिना लाभ लिये किया जा रहा है। पिछले तीस वर्षो से सिकल के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। इस अनुभव के आधार पर, हम उन्नत तकनीको से सिकल का इलाज करने में कामयाब हो रहे है।

देर से डायग्नोसिस व समय पर सही इलाज न मिलने पर सिकल के मरीजों को बार बार इन्फेक्शन, दर्द क्राइसिस, खून की कमी होने से अस्पताल में बार बार भरती होना व ब्लड लगाना पड़ता था। जिससे घर की आर्थिक स्तिथी भी खराब होती जाती थी और दैनिक जीवन में भी सिकल के मरीज थके हुये, बीमार से रहते थे और परिवार वालो पर बोझ हुआ करते थे। एक तो इलाज का खर्चा और माता पिता अपना कामकाज़ नहीं कर पाते जिससे आर्थिक, मानसिक व सामाजिक नुकसान होता है और परिवार भी पायी ट्रेप में फस जाता है।

डॉ सिहारे ने बताया कि अब हम काम्प्रीहेन्सिव केयर के माध्यम से लगभग एक हजार सिकल के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। और अब हमारे सिकल पेशेन्ट्स बेहतरीन जिन्दगी जी रहे है, न इन्फेक्शन, न दर्द व ब्लड भी नहीं चढ़ता है। घरवाले भी खुश और खुशहाल रह रहे है। हम सतत् इलाज व निगरानी रखते है कि दवाओं का सही असर हो रहा है या नहीं, कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है। क्रानिक आर्गेन डेमेज को रोकना व पहले ही पहचान कर इलाज करते है। हर एक सिकल पेशेन्ट का वार्षिक चेकअप करने के हमारा लक्ष्य है।


गम्भीर मरीजों को भरती कर आयुष्मान के तहत् निशुल्क इलाज किया जा रहा है। सिकल के मरीज के परिवार वालों का भी निशुल्क सिकल टेस्ट व इलेक्ट्रोफोरेसिस करके यह सुनिश्चित करते है कि बाकि लोग ठीक तो है। हर कोई जिसे भी शंका है वह सिकल की जाँच फ्री में करा रहे है। सिकल ट्रेट के लोगों को निश्चिंत रहने की समझाइस दी जाती है। सिकल के मरीज पैदा ही न होये इसके लिये शादी के बाद प्रीनेटल व एन्टीनेटल डॉग्नोसिस की सलाह देते है व मदद कर रहे है।अब तो प्रोनेटल डायग्नोसिस अत्यन्त कम खर्चे में बिलासपुर में ही उपलब्ध है।

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