आने लगी मानसून की आहट, 15 मई को अंडमान में देगा दस्तक
(शशि कोन्हेर) : भीषण गर्मी झेल रहे लोगों के लिए बड़ी राहत देने वाली खबर है। इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून जल्द आ रहा है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 15 मई को पहली मौसमी बारिश होने की उम्मीद है। सामान्य रूप से मानसून 19-20 मई तक अंडमान निकोबार द्वीप समूह पहुंचता है। इस साल समय से चार दिन पहले 26 मई को मानसून के केरल पहुंचने की भी संभावना है।
समय से पहले केरल में दस्तक देगा मानसून
भारतीय मौसम विभाग विभाग (आइएमडी) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून के 15 मई के आसपास दक्षिण अंडमान सागर और निकटवर्ती दक्षिणपूर्वी खाड़ी में पहुंचने की संभावना है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक विस्तारित पूर्वानुमानों में लगातार मानसून के समय से पहले केरल में दस्तक देने और उत्तर की तरफ बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। इससे देश के अधिकतर हिस्सों में लोगों को राहत मिलेगी जो पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय से भीषण गर्मी से बेहाल हैं।
इन जगहों पर होगी भारी बारिश
मौसम विभाग का कहना है कि अगले पांच दिन अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है। 14 से 16 मई के दौरान कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है। 15 और 16 मई को दक्षिण अंडमान सागर में हवा 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है।आइएएनएस के अनुसार 26 मई को मानसून के केरल पहुंचने की उम्मीद है। सामान्य रूप से केरल में मानसून का आगमन एक जून को होता है। असानी चक्रवात के चलते पिछले दो दिन से केरल में भारी बारिश भी हो रही है।
मप्र में 16 मई से प्री-मानसून दे सकता दस्तक
पश्चिम बंगाल में बने साइक्लोन की वजह से 16 मई से मध्यप्रदेश में प्री-मानसून दस्तक दे सकता है। तीन दिन बाद प्रदेश में बादल डेरा डालना शुरू कर देंगे। शाम को हल्की बूंदाबांदी राहत देगी। इस बार मानसून भोपाल, इंदौर, नर्मदापुरम और उज्जैन संभागों में ज्यादा मेहरबान रहेगा। जबलपुर और सागर संभाग में यह सामान्य रहेगा। वैसे मध्यप्रदेश में मानसून के आने का समय पहले 10 जून था, लेकिन कुछ सालों से इसके देरी से आने के कारण अब 15 से 16 जून तय किया गया है। अगर कोई अड़चन नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में मानसून के मध्यप्रदेश में 15 से 16 जून तक आने की संभावना है। भोपाल में यह 20 जून के आसपास पहुंचेगा। जून में तापमान ज्यादा नहीं बढ़ेगा।
देश में 70 फीसद बारिश दक्षिण पश्चिम मानसून से
मानसून केरल से शुरु होकर धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाता है। इससे देश में कुल बारिश का 70 फीसद दक्षिण पश्चिम मानसून से ही होती है। भारत में रबी फसलों का आधा इसी मानसून पर निर्भर है। यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्यान्न की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। भारत में अच्छी बारिश, जो सभी राज्यों में हो, उसी से फसलें अच्छी होती हैं। इसी से भारत में खाद्यान्न आयात पर निर्भरता कम होती है।
40 फीसद किसान मानसून पर निर्भर
देश में 40 फीसद किसान ऐसे हैं जो सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर हैं। खरीफ की फसलें जैसे- चावल, कपास, गन्ना, मसूर, चना और सरसों का उत्पादन करने वाले किसान इसी मानसून पर निर्भर रहते हैं। इससे पहले मौसम विभाग देश में लगातार चौथे साल मानसून के सामान्य रहने के आसार जता चुका है।