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ज्ञानवापी मामले को जिला स्तर के जज को सुनना चाहिए क्‍योंकि…” : सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़

(शशि कोन्हेर) : नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वो ज्ञानवापी मामले में निचली अदालत में सुनवाई के पक्ष में है लेकिन जिला जज यह सुनवाई करें. पहले 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के उल्लंघन बताने वाली मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई हो, तब तक सुप्रीम कोर्ट का शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज ना रोकने के आदेश जारी रहे. मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने इसका विरोध किया. उन्‍होंने कहा कि इसे सिर्फ एक मामले के नजरिए से न देखें. इसका असर चार-पांच मस्जिदों के मामले में पड़ेगा.ये बड़ी पब्लिक शरारत है. ये धार्मिक इमारत के चरित्र को बदलने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश है.

उन्‍होंने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते है. स्टेटस को यानी यथा स्थिति बनाए रखी जा सकती है. पांच सौ साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमने जो महसूस किया, वह सबसे पहले हम आदेश 7 नियम 11 पर निर्णय लेने के लिए कहेंगे.जब तक यह तय नहीं हो जाता है कि हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा.’तीन जजों, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई कर रही है.

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