राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने शुरू की कवायद-चुनाव में कसौटी पर रहेगी, विपक्षी एकता
(शशि कोन्हेर) : राज्यसभा चुनाव और सिर्फ दो महीने दूर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा समेत बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने सोमवार को चार घंटे की बैठक की. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन और विपक्ष दोनों ने भारत के नए राष्ट्रपति के लिए अपने-अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर ली है. राज्य सभा की 57 सीटों पर 10 जून को मतदान के लिए नामांकन शुरू होने से एक दिन पहले भाजपा नेताओं ने सोमवार शाम नड्डा के घर पर मुलाकात की।
राज्यसभा चुनाव का असर राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है.
विपक्ष ने अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है और आम सहमति बनाने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव या केसीआर और महाराष्ट्र के नेता शरद पवार बैठकें कर रहे हैं. बीजेपी के पास सभी सांसदों और विधायकों के 48.9% वोट हैं. विपक्ष और अन्य पार्टियों के पास 51.1 फीसदी वोट हैं. इस लिहाज से सत्तारूढ़ भाजपा एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी की जीत लगभग तय की मानी जानी चाहिए।। लेकिन इस राष्ट्रपति चुनाव से एक बात और तय हो पाएगी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर कोई प्रत्याशी मैदान में उतारता है या फिर सारी पार्टियां अपनी डफली अपना राग की रहेगी। इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रपति चुनाव में देश के भीतर विपक्षी एकता व्यावहारिक धरातल की कसौटी पर कसी जाएगी।
भाजपा को अपने उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए केवल ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजद (बीजू जनता दल) या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस की जरूरत है.
केसीआर, जो 2024 के आम चुनाव के लिए गैर-कांग्रेसी, गैर-बीजेपी मोर्चे के लिए काम कर रहे हैं, प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. जाहिर तौर पर राष्ट्रपति चुनाव को एक परीक्षण मामले के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. हालही केसीआर ने अपने दिल्ली समकक्ष अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. उन्होंने पहले उद्धव ठाकरे, शरद पवार, अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और एमके स्टालिन और ममता बनर्जी से फोन पर बात की थी. उनके कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से मिलने की भी उम्मीद है.
यह सवाल उठाता है कि क्या वह इस बार एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि वह अपनी पार्टी के नेता, केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को एक फिर राज्यसभा नहीं भेंजेंगे. सिंह भाजपा नेताओं के करीबी हैं और उन्होंने हमेशा नीतीश कुमार के दूत के रूप में काम किया है.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की और कथित तौर पर राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा की. भाजपा के अन्य “मध्यस्थ” भी समर्थन को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव जगन रेड्डी के साथ नवीन पटनायक और जीवीएल नरसिम्हा राव के संपर्क में हैं।