(भूपेंद्र सिंह राठौर) : बिलासपुर रेल मंडल में रोजाना इन दिनों 240 मालगाड़ियां चलाई जा रही है जिसमे 220 गाड़ियां कोयले की है। एक माह में ही बिलासपुर मंडल ने 15 मिलियन टन कोयले की लोडिंग और परिवहन पूरी की है। रेलवे को पिछले कुछ महीनों में रोजाना मेल/एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा है जिससे अलग-अलग जगहों पर स्थित बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ढोने वाली ट्रेनों को अतिरिक्त रास्ता मिल सके। हालही में फिर से 24 जून तक बिलासपुर जोन ने 36 ट्रेनों को रद्द कर दिया है।
इससे यात्रियों को जरूर दिक्कतें आ रही है पर कोयले की लोडिंग बढ़ा दी गई है। बिलासपुर रेल मंडल से सबसे ज्यादा कोयले की लोडिंग की जाती है,यही वजह है कि इन दिनों यहां से चलने और गुजरने वाली ट्रेनों को रद्द कर मालगाड़ियों का परिचालन बढ़ा दिया गया है। ताकि बिजली संकट को दूर किया जा सके। बिलासपुर रेल मंडल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले एक माह में चाम्पा से बिलासपुर के बीच ही 220 मालगाड़िया चलाई जा रही है,वही सबसे ज्यादा कोयले की लोडिंग इसी मंडल से की जा रही है,अब तक एक माह में 15 मिलियन टन कोयले की लोडिंग परिवहन की गई है,जो आपने आप मे एक नया कीर्तिमान है।
इनके अलावा रेलवे की आय भी कोयले से बढ़ी है। रेलवे सौ किलोमीटर में 1 टन कोयले के पीछे 285 रु,125 किलोमीटर के पीछे 419 रु,175 किलोमीटर के पीछे525 रु और 225 किलोमीटर के पीछे 667 रु आय ले रही है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि 15 मिलियन टन कोयले से रेलवे को कितना मुनाफा हुआ है। वही यह राशि सीधे भारत सरकार के खजाने में जमा हो रही है,जो बजट के माध्यम से मंडल और जोन को मिलती हैं। इसी लिए बिजली आपूर्ति जारी रखने निरंतर सवारी गाड़ियों को रद्द कर मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है।