छत्तीसगढ़

आखिर भाजपा सांसद गोमती साय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच डेढ़ घंटे तक इन मसलों को लेकर होती रही बात.. भाजपाई लगा रहे कई तरह के अनुमान..!

(शशि कोन्हेर) : सोमवार को रायगढ़ के सांसद गोमती साय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई लम्बी बात चीत को लेकर कई तरह की अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इनके बीच किन मुद्दों पर इतनी लंबी चर्चा हुई यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है लेकिन इस बात चीत को लेकर सियासी महकमे में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।

कहा जा रहा है कि प्रदेश में साल के आखिरी महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए गोमती साय को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। आदिवासी और महिला होने के साथ इनकी कार्यशैली का अध्यन करने के बाद पार्टी हाईकमान इस बार नया चेहरा उतारने के पक्ष में है यह बात कई बार मीडिया में आ भी चुकी है ।नए चेहरों को लाने के लिए पार्टी छग में हर मोर्चे पर सर्जरी भी कर चुकी है ऐसे में सांसद गोमती साय को जिस तरीके से कुछ दिनों से पार्टी आगे कर रही है इससे अनुमान लगाने वालों को यह अनुमान लगाना अब काफी सहज हो गया है कि पार्टी को गोमती साय के तौर पर एक नया और तेज तर्रार चेहरा मिल गया है और आने वाले दिनों में पार्टी इस चेहरे को आगे रखकर कोई बड़ी रणनीति तय कर सकती है।

ऐसा अनुमान इसलिए भी लगाया जा रहा क्योंकि प्रधान मंत्री निवास से सांसद का कॉल आना और प्रधानमंत्री से डेढ़ घंटे तक चर्चा होना यह कोई साधारण बात नहीं हो सकती । राजनीति या सामान्य दृष्टिकोण से भी कोई इस मसले को साधारण नहीं बोल सकता ऐसे में कुछ भी अनुमान लगाया जा सकता है ।

चर्चा इस बात की भी हांलाकि हो रही है कि अभी कुछ दिनों बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है और इस फेरबदल में छग को कोई बड़ा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है और जिसे प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है वो चेहरा गोमती साय का हो सकता है । ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि केंद्रीय बजट को लेकर जब संसद में बोलने की बारी आई तब भी छग से महिला आदिवासी सांसद गोमती साय का नाम सामने आया और वह बजट को लेकर काफी देर तक संसद में भाषण देती रही । यह भी कोई साधारण बात नहीं है कि पार्टी के इतने सारे वरिष्ठ सांसदों के रहते बजट पर भाषण देने के लिए गोमती साय को आगे किया जो छग से है और महिला होने के साथ साथ आदिवासी भी है ।

छग में इस बार जनजाति समुदाय को लेकर भाजपा पूरा फोकस कर रही है। डिलिस्टिग का मुद्दा हो या धर्मांतरण का मुद्दा इन मुद्दों पर भाजपा की मुहिम काफी समय पहले से शुरू है ।इन मुद्दों के जरिए भाजपा आदिवासियों को साधने में लगी हुई है ।क्योंकि 2018 में भाजपा प्रदेश के सभी आदिवासी सीटो से गायब हो चुकी है । उन सीटो पर पुनः कब्जा हासिल करने के लिए भाजपा आदिवासी कार्ड खेलने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली और गोमती को आगे करना पार्टी के इस रणनीति का बड़ा हिस्सा हो सकता है ।

यह बताना भी जरूरी है कि सांसद गोमती जशपुर रायगढ़ के हर बुनियादी मुद्दों पर संसद में मुखर होकर बोलने वाली सांसदों में से गिनी जाती हैं।इन्होंने रायगढ़ जशपुर के हर बहुप्रतीक्षित मुद्दों को संसद में प्रखरता से उठाया।जशपुर में रेल का मुद्दा सभी मुद्दों में काफी अहम मुद्दा है जिसको लेकर वह रेल मंत्री से कई बार मिलने के अलावे संसद में भी इस मुद्दे को कई बार उठाई। इसी तरह धर्मांतरण और हाथी की समस्या को लेकर भी वह संसद में कई बार बोल चुकी हैं ।

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