छत्तीसगढ़

आखिर स्वास्थ्य विभाग के दमदार वसूली भाई अफसरों के खिलाफ, किसने की कलेक्टर से शिकायत..?

(शशि कोन्हेर के साथ जयेंद्र गोले) : बिलासपुर। हमारे पास स्वास्थ्य विभाग में चल रही अंधाधुंध अंधेर गर्दी के खिलाफ कलेक्टर से की गई शिकायत पत्र की फोटो कॉपी उपलब्ध है। बाकायदा कलेक्ट्रेट का सीट ठप्पा लगी हुई इस शिकायती चिट्ठी में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कथित वसूली भाई अधिकारियों द्वारा शहर के तमाम नर्सिंग होम से और इसी तरह झोलाछाप डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की छूट देने के लिए हर माह लंबी-लंबी रकम वसूल करने का जिक्र किया गया है।

अधिकारियों के बाकायदा नाम सहित की गई इस शिकायत में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में वर्षों से अंगद के पांव की तरह जमे हुए श्री विजय प्रकाश सिंह (नेत्र सहायक अधिकारी) और बिल्हा के आर.एच.ओ प्रवीण शर्मा तथा रतनपुर के बीईटीओ नैशाद अहमद का बकायदा नाम लेते हुए आरोप लगाया गया है कि तीन कथित वसूली भाई अफसरों के द्वारा नर्सिंग होम एवं झोलाछाप डॉक्टरों से अवैध वसूली की जाती है।

बिलासपुर शहर और जिले में चल रहे नर्सिंग होम्स को शासकीय नियमों का हवाला देते हुए ट्रेंड स्टाफ, अग्निरोधक, बायो मेडिकल वेस्ट, रैलिंग, लिफ्ट आदि की कमी बताते हुए प्रत्येक नर्सिंग होम से हर माह एक निश्चित रकम (शायद कम से कम 15000 रुपए प्रति नर्सिंग होम) वसूल की जाती है। रकम नहीं देने पर नर्सिंग होम एक्ट का पंजीयन नहीं देने अथवा निरस्त करने की धमकी दी जाती है। इसी तरह झोलाछाप डॉक्टरों को पकड़ कर उनसे भी एक निश्चित रकम लेकर उन्हें खुलेआम प्रेक्टिस करने की छूट प्रदान की जाती है।

कुछ फर्जी नर्सिंग होम संचालक और झोलाछाप डॉक्टर भी इन वसूली भाई बने स्वास्थ्य विभाग के इन अधिकारियों के गिरोह में शामिल हैं। सभी को जानकारी है कि माननीय उच्च न्यायालय ने पूरे प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर और फर्जी डिग्री्धारियों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बावजूद सारे नियमों को दरकिनार कर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए उक्त वसूली भाई अधिकारियों के द्वारा (बतौर शिकायत) रकम लेकर उन्हें प्रैक्टिस करने की छूट प्रदान की जा रही है।।

इस धतकरम में लगे वसूली भाई अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर पूर्व नियोजित ढंग से जिले में छापामार कार्यवाही भी की जाती है। इस दौरान जिन नर्सिंग होम संचालकों और झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा प्रतिमाह निर्धारित रकम उन्हें प्रदान नहीं की जाती है। वहां छापा मारकर नर्सिंग होम एक्ट की अवहेलना का कारण बताकर “सीलबंदी”की कार्यवाही की जाती है। और वसूली की रकम मिलने पर उक्त नर्सिंग होम तथा झोलाछाप डॉक्टरों के दुकानों की सील खोल दी जाती है। इस तरह उन्हें संरक्षण देते हुए आम जनता को लूटने और उसकी जान से खिलवाड़ करने की खुली छूट दी जाती रही है।

इसके कारण आज हमारे बिलासपुर शहर में और जिले में भी नर्सिंग होम एक्ट का पालन न करते हुए कई नर्सिंग होम धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इसी तरह झोलाछाप डॉक्टरों की भी दुकानों की कतार लगी हुई है। जिनके कारण ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों को गंभीर बीमारी बताते हुए डराकर उनका मानसिक आर्थिक शारीरिक रूप से शोषण करते हुए उनके जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। सबसे अधिक शर्मनाक गया है कि इसकी शिकायत पहले भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यहां अंत में आपको यह बताना लाजमी है कि वसूली भाई अफसरों की अंधाधुंध वसूली के खिलाफ जिला कलेक्टर से की गई इस शिकायत में शिकायतकर्ता के रूप में समस्त नर्सिंग होम संचालक जिला बिलासपुर लिखा हुआ है। लेकिन उसने किया गया हस्ताक्षर समझ से परे है। पर चूंकि यह शिकायत सीधे जिला कलेक्टर से की गई है इसलिए इसे गंभीरता से लेते हुए दूध का दूध और पानी का पानी किया जाना चाहिए।

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