आखिर कौन कर रहा है साजिश…मुंगेली जिला अस्पताल से मरीजों का अपहरण कर प्राइवेट अस्पतालों में भेजने की
(मनीष नामदेव) : मुंगेली : जिला अस्पताल नजर आने लगा सरायखाना बनने लगा निजी हस्पिटल का दबदबा
मुंगेली – कुछ वर्षो पहले जहां जिलेवासी बेहतर सुविधाओं के लिए तरसते नजर आ रहे थे वही जिला अस्पताल के रूप में सौगात मिलने से जिलेवासियांे में हर्ष की लहर दौड गई।
किंतु बितते समय के साथ साथ जिला अस्पताल भी महज नाम का बन कर रह गया। वही मरीजो को अब भी अपने ईलाज के लिए निजी अस्पतालो के शरण में जाना पड रहा है ।
ज्ञात हो 1 जनवरी 2012 को जिला चिकित्सालय की शुरुवात सामुदायिक स्व. केंद्र मुंगेली के भवन में हुई थी । जिसमे 30 बिस्तर की सुविधा थी । 6 चिकित्सक तथा 7 स्टाफ नर्स व अन्य कर्मचारी थे इस भवन में हर्निया, हैड्रोसिल जैसे अन्य बीमारी का आपरेशन होता था तथा जांच की सुविधा थी व 30 प्रसूति प्रति माह की जाती थी। 14 दिसंबर 2016 को जिला चिकित्सालय के नए भवन का शुभारम्भ हुआ इसमें वर्तमान में 12 चिकित्सक व 7 विशेषज्ञ चिकित्सक कार्य कर रहे हैं ।
अभी चिकित्सालय में बहुत सारी सुविधा उपलब्ध है । जिसके बावजूद भी दूर दराज से आने वाले मरीजों को भटकना पड़ता है,, किंतु जमीनी हकिकत कुछ और ही बया करती नजर आ रही है, आज के समय में जहा हर बीमारी के इलाज के स्पेलिस्ट डाक्टर सुविधा युक्त इलाज से लेकर जांच की आधुनिक मशीन व निशुल्क इलाज होने के बाद भी जिला अस्पताल से मरीजो का प्राइवेट अस्पतालों में जाना कही न कहीं संदेह की बात है ।
प्रशासन के द्वारा इससे पहले जिला अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस की आवाजाही पर कार्यवाही की गई थी लेकिन एकबार फिर निजी एंबुलेंस की आवाजाही दिखने लगी जो 108, संजीवनी,से आने वाले मरीज को जिला अस्पताल के बाहर से ही प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता दिखाते है जिला अस्पताल में गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज होना,व निशुल्क होना उसके बाद भी ऐसी कोन सी बात है जो मरीजों को एडमिट होने के बाद डिस्चार्ज लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ़ रुख करना पड़ता है।
कहि मरीजों का जल्द इलाज न होना या मरीजों को इलाज के लिए समय पर डाक्टरों का न मिलना मरीजो और उनके परिजनो को निजी अस्पतालो की तरफ रूख करने को मजबूर तो नही कर रही है । वहीं दुसरी तरफ देखा जाये तो प्राईवेट अस्पालो में पहुचने के बाद मरीजो की आस पर दोहरा मार भी पडने लगती है, एक तो एडी चोटी कर प्राईवेट अस्पतालो के लिए मोटी रकम की व्यवस्था और दुसरी तरफ अस्पतालो का रवैया ।
जहां मरीजों से रकम की कमी होने से बल पूर्वक दबाव डाला जा रहा है इससे पहले भी मुंगेली के कई प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों के पास इलाज के कम रकम होने से बंधक बनाया गया था, ऐसे ही मुंगेली में कई प्राइवेट हस्पिटल है जो डाक्टर के नाम बस लिखे होने से सुचारू रूप से चल रहे है जिसमें प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ।