अमेठी के बाद मिशन रायबरेली में जुटी है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, इस विधानसभा चुनाव में होगी रिहर्सल…!
(शशि कोन्हेर) : रायबरेली – अमेठी के बाद रायबरेली में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की दिलचस्पी से सत्ता का संग्राम रोचक होता जा रहा है। अमेठी संसदीय क्षेत्र में आने वाले सलोन विधान सभा क्षेत्र के रास्ते वह रायबरेली की राजनीति में भी अपनी दखल बढ़ा रही हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ में कमल खिलाने के बाद अब वह उनकी मां व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ में भी भाजपा का रंग चटक करने में लगी हैं। अमेठी-रायबरेली की आबोहवा एक सी ही है। ऐसे में भाजपा दोनों जिलों की दसों सीटों पर कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत से लगी हुई है। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके ही गढ़ अमेठी में हराने के बाद से स्मृति का उत्साह बढ़ा हुआ है। वह 2019 से लगातार अपनी हर सभा व कार्यक्रम में 2024 में रायबरेली को कांग्रेस से मुक्त कराने की बात कहती हैं। अमेठी के बाद रायबरेली को कांग्रेस के हाथ से छिनने की कोशिश में लग गई हैं।
दोनों जिलों में दिशा की अध्यक्ष हैं स्मृति : अमेठी जिले के साथ वह रायबरेली जिले में भी जिला विकास एवं अनुश्रवण समन्वय समिति (दिशा) की अध्यक्ष अमेठी सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी हैं। जबिक रायबरेली सांसद कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। दिशा का अध्यक्ष होने के चलते स्मृति का अमेठी के साथ रायबरेली जिले में होने वाले विकास कार्यों पर पूरा फोकस रहता है। इतना ही नहीं स्मृति व उनकी टीम का दोनों जिलों के अधिकारियों के साथ ही पूरे सिस्टम से जुड़ाव बना हुआ है। जबकि कांग्रेस के साथ ही सोनिया गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम दूर होती जा रही है। स्मृति की अध्यक्षता में कुछ माह पहले हुई दिशा की बैठक में सोनिया गांधी शामिल नहीं हुई।
2017 में अमेठी-रायबरेली की तीन-तीन सीटों पर खिला था कमल : अमेठी संसदीय क्षेत्र की सलोन सीट सहित बछरावां व सरेनी सीट पार्टी 2017 में जीतने में सफल हुई थी। जबकि अमेठी जिले की चार सीटों में तीन पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। रायबरेली के हरचंदपुर व ऊंचाहार में भाजपा के उम्मीदवार मुख्य मुकाबले थे।
सभी दसों सीटों पर है स्मृति का जोर : 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनकर आए दोनों विधायक अब भाजपा में हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी स्मृति का सलोन विधान सभा में खासा दखल था और उनके लोग जीतकर भी आए। ऐसे में स्मृति का पूरा जोर अमेठी के साथ रायबरेली की सभी सीटों पर कमल खिलाने पर है। भाजपा कार्यकर्ता भी डंके की चोट पर इस बात को कहते हैं कि स्मृति की दखल से रायबरेली में भाजपा की ताकत बढ़ी है।